अपने अंदर के रावण का दहन करें

दशहरा हम सभी जानते हैं कि दशहरा पर हमेशा से रावण दहन की परंपरा रही है।
रावण दहन, जी हाँ !
रावण का दहन करके इस मान्यता को जोड़ा जाता है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है, सच हमेशा झूठ सेआगे रहता है। लेकिन क्या सिर्फ Ravan Dahan करके ही हम Dussehra के संपूर्ण अर्थ को स्थापित करने में सफल होते हैं ? क्या हम इतने भी समझदार नहीं है कि यह समझ सके कि उस रावण दहन से कहीं ज्यादा जरूरी हमारे अंदर की बुराइयों का दहन करना है।

रावण का दहन apne-andar-ke-ravan-ka-dahan-kare

हम उस चौराहे के किसी एक कोने पर इकट्ठा होकर रावण को तो जला देते हैं लेकिन हमारे अंदर का रावण तो मरता ही नहीं। तो चलिए इन बुराइयों का खात्मा करके आज हम रावण का पूर्ण रूप से खात्मा कर देते हैं, इन बुराइयों का मारा जाना बहुत जरूरी है।



लोगों का दिल दुखाना:

जी हाँ, यदि हम किसी का दिल दुखाते हैं तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम शायद इस दुनिया की सबसे बड़ी भूल को दोहरा रहे हैं। हमें इस बात का अंदाज़ा भी नहीं होता कि हमारे कड़वे शब्द किसी को किस हद तक पीड़ा पहुंचा सकते हैं। इसलिए हमें किसी भी बात को कहने से पहले एक बार सोच लेना चाहिए कि हमें यह बात कहना भी चाहिए कि नहीं या फिर इस बात का कहा जाना कितना जरूरी है।

गलत का साथ देना:

कभी-कभी यहाँ पर इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि क्या सही है और क्या गलत। लेकिन यदि हम जानते हैं कि जिस चीज का हम साथ दे रहे हैं वह गलत है तो हमें उसका साथ कभी नहीं देना चाहिए। कहने को तो यह बात हम सभी जानते हैं लेकिन यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि कितने लोग इस बात को मानते हैं। क्यों हमारा दिल अब इतना बद मिज़ाज हो चला है कि वह जानता है कि वह कहाँ गलत है, लेकिन उस गलती से खुद को दूर नहीं रख पाता। इस बात में कोई दोराय नहीं कि हमें इस बात पर फिर से विचार करना होगा।

धोखा देना:

क्या आपने कभी किसी को धोखा दिया है ? यदि इस बात का विश्लेषण इस दुनिया में कोई कर सकता है तो वह स्वयं आप हैं। और यदि आपने कभी किसी को धोखा नहीं दिया तो ज़रा सोचिए कि आप पूरे मन से किसी पर भरोसा करते हैं और वह आपको धोखा दे दे तो आपको कैसा महसूस होगा। क्योंकि अगर आपने अब तक किसी को धोखा नहीं दिया तो यह बात आपको आगे भी धोखा देने से बचाएगी और यदि आपने कभी किसी को धोखा दिया है तो आपको इस बात पर शर्मिंदा होना चाहिए। किसी को धोखा देने का मतलब होता है किसी शख्स को पूरी तरीके से तोड़ देना उसकी उम्मीदों का गाला घोंट देना।




यह बातें मैंने आज आपसे इसलिए की क्योंकि यह बातें हमें सुनी है। पढ़ने में तो बहुत आम लगती है और अमूमन हम इन बातों का स्मरण रखते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश यह बुराइयाँ अब भी हमारे अंदर किसी ना किसी रूप में मौजूद होती है।

तो इस दशहरा पर रावण का दहन करने से बहुत ज़्यादा ज़रूरी है कि हम अपने अंदर के रावण को समाप्त करें !!

स्वयं को रावण बनने से बचायें ! मेरे इन वाक्यों के साथ आप सभी को दशहरा की ढेरों शुभकामनायें !!

लेखिका:
वैदेही शर्मा