क्या है डेंगू Dengue कैसे फैलता है डेंगू बुखार क्या कारण हैं डेंगू होने के

क्या है डेंगू - कैसे फैलता है डेंगू बुखार कैसे बचें

भीषण गर्मी के बाद जैसे ही बरसात का मौसम शुरू होता है गर्मी से तो राहत मिलती ही है साथ ही मन भी तारोताजा हो जाता है । बरसात का सुहावना मौसम आखिर किसे पसंद नहीं आता, पर यह मौसम सुहावना होने के साथ-साथ बीमारियों को भी साथ लेकर आता है । संक्रामक बीमारियों का खतरा इस समय और अधिक बढ़ जाता है; बरसात के मौसम में होने वाली आम सी जान पड़ने वाली बीमारियां जैसे कि – टाइफाइड , कॉलरा, मलेरिया , चिकनगुनिया और डेंगू आदि खतरनाक बिमारी बन हमारा स्वागत करने को आतुर रहती हैं I इनके प्रकोप से प्रत्येक वर्ष कई लोगों कि मौत भी हो जाती है । इन बीमारियों से बचने के लिए सबसे जरुरी है कि हमें इन बिमाँरियो के लक्षण , इनके होने के मूल कारण , इनसे बचने के उपाय व् इनके उपचार की पुख्ता जानकारी हो जिससे कि हम सभी एक स्वस्थ्य और सुरक्षित जीवन जी सकें ।

आज हम डेंगू के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जो कि बरसात के मौसम में होने वाली एक आम संक्रामक बिमारी है जिसका प्रकोप पिछले कुछ वर्षों में विश्वस्तरीय रूप से बढ़ता ही जा रहा है । यह बिमारी यूरोप महाद्वीप को छोड़कर पूरे विश्व में होती है विश्व स्वस्थ्य संगठन ( WORLD HEALTH ORGANIZATION (WHO) ) के अनुसार पूरे विश्व में डेंगू से लगभग 390 करोड़ मामले पाए गये हैं और सिर्फ भारत कि बात करें तो 2014 से 2015 तक डेंगू के मामले में दोगुनी बढ़ोत्तरी हुई है जिसमे से सबसे ज्यादा मामले भारत कि राजधानी दिल्ली में आते हैं । दिल्ली में लगभग 1800 मामले वर्ष 2015 में दर्ज किये गए और वर्ष 2016 के आते ही इनकी वृद्धि 25 % तक हो गयी ।



जानते हैं – क्या है डेंगू (Dengue) ?

डेंगू एक आम संक्रामक रोग है जो कि वायरस के द्वारा होता जिसका अहम् कारक है घर में या अपने आस – पास की गलियों में मच्छरों की मौजूदगी । Dengue का मुख्य लक्षण है – तेज बुखार , बहुत ज्यादा शारीर दर्द व सिर दर्द ; यह एक ऐसी बिमारी है जो महामारी का रूप भी ले लेती है । सामान्य भाषा में इस बिमारी को “हड्डी तोड़ बुखार” कहा जाता है क्योंकि इस बिमारी में शरीर व् जोड़ो में बहुत तेज़ दर्द होता हैं जिसकी पीड़ा को सहन करना मुश्किल हो जाता है ।

डेंगू (Dengue) कैसे फैलता है ?

मलेरिया कि तरह डेंगू भी मच्छरों के काटनें से ही फैलता है इन मच्छरों को Aedes Mosquito, Aedes aegypti मच्छर कहा जाता है यह मच्छर दिन में भी काटते हैं । भारत में डेंगू जुलाई से अक्टूबर के महीनो में सबसे अधिक होता है ।

Aedes aegypti, यह मच्छर दिन में ज्यादा सक्रिय होते हैं अगर आप ध्यान से देखें तो इन मच्छरों के शरीर पर चीते के समान धरिया दिखाई देंगी । ये मच्छर काफी छोटे होते हैं ; यह मच्छर ज्यादा उचाई तक नहीं उड़ पाते । यह लगभग आपके घुटनों तक कि उचाई पर ही उड़ पाते है, ठंडी और छांव वाली जगहों पर ये ज्यादातर पाए जाते हैं । पर्दों के पीछे व् अँधेरी जगहों पर ये छिप जाते हैं, घर अंदर रखे हुए शांत व् साफ़ पानी में भी ये प्रजनन करते हैं । पानी सूख जाने के बाद भी 12 महीनों तक इनके अंडे जीवित रह सकते हैं गटर या रास्ते में जमे ख़राब पानी में कम प्रजनन करते हैं ।




डेंगू बुखार से पीड़ित व्यक्ति के रक्त में डेंगू वायरस अत्यधिक मात्रा में होता है जब कोई “एडीज मच्छर” डेंगू के किसी रोगी को काटता है तो डेंगू वायरस भी उस मच्छ्हर में प्रवेश कर जाता है । जब डेंगू वायरस युक्त मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो Dengue Virus उस व्यक्ति के शारीर में पहुँच जाता है और वह व्यक्ति डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाता है । कुछ दिनों बाद उसमें डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई देने लगते हैं ।

क्या है Dengue का संक्रामक काल ?

जिस दिन Dengue Virus से संक्रमित कोई मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को कटता है तो उसके 4 से 5 दिनों के बाद डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई देने लगते हैं; यह संक्रामक काल 3 से 10 दिनों का भी हो सकता है ।

Dengue Fever के तीन प्रकार के होते हैं:

1 – क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार
2 – डेंगू हेमोररहाजिक ( Dengue Hemorrhagic (DHF) )
3 – डेंगू शॉक सिंड्रोम ( Dengue Shock Syndrome (DSS) )

क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार एक स्वयं ही ठीक हो जाने वाली बिमारी है तथा इससे मृत्यु नहीं होती । लेकिन Dengue Hemorrhagic (DHF) व डेंगू Dengue Shock Syndrome (DSS) का अगर सही समय पर उपचार नहीं किया गया तो यह जानलेवा सिद्ध हो सकते हैं ।

 

जरूरी बात : इस लेख में डेंगू की बहुत संछिप्त जानकारी दी गयी है जिसे लेखिका नें अपने व्यक्तिगत ज्ञान अथवा जानकारियों के आधार पर दर्शाया है। इस लेख का प्रमुख उद्देश्य केवल आपको डेंगू और डेंगू बुखार से जागरूक करना है ताकि आप इसकी पहचान कर पायें। इससे अधिक विवरण के लिए आप डॉक्टर विशेषज्ञों की सलाह ले सकते हैं क्योंकि लेखिका किसी भी तरह की डॉक्टरी या चिकित्सीय व्यवस्था से जुड़ीं नहीं है।




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