पंछी की चाह – हिंदी कविता
On November 29, 2018 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
भला कैद रहकर जीना कौन चाहता है , फिर वो चाहे इंसान हो या एक परिंदा। पिंजरे में कैद एक पंछी आखिर क्या सोचता होगा ? कुदरत ने उसे अनंत आकाश में उड़ने का वरदान दिया मगर इंसानी ताकतों नें उसे कैद कर अपना ग़ुलाम बना लिया। एक कैद पंछी की चाहत को बयां करती सुन्दर हिंदी कविता जिसकी लेखिका हैं रीना कुमारी। क्या अब भी आपको लगता है की पंछियों को कैद कर उनसे उड़ने की आज़ादी छीन लेनी चाहिए !
कविता शीर्षक “पंछी की चाह”
हम पंछी यही चाहें
कोई बंधन ना हो आस-पास
खोल पंखों को उड़ते रहें
उड़ने को चाहिए खुला आकाश
मीठे फल की हमें ना हसरत
नहीं चाहिए शीतल छाँव
नील गगन में उड़ते रहें
दिल में है बस इतनी चाह
ईश्वर से यही प्रार्थना है
हमारी खुशियां ना कोई लूटे
मौत भले आ जाए लेकिन
आजादी ना कोई छीने
रीना कुमारी
तुपुदाना, राँची झारखण्ड।