कथा कहानी Hindi Stories – भारतीय हिंदी कहानियां Online Archive

हिंदी कहानी धारना

अक्सर कला क्षेत्र से जुड़े एक नायक को उसकी जिन्दगी की रचना से जोड़कर देखा जाता है लेकिन वह उसका एक ख्याब ही होता है जो एक बिन्दु से जोड़कर अल्ग-अल्ग विषयों पर अपनी धारना को व्यकत करता है। यह एक मात्र काल्पनिक घटनाओं का स्रोत होता है, आज की कहानी भी हमारी कुछ

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ

दोहा: ” पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय;ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय। “ कथानक: बाबू साहब अपना मोटा पेट और मोटा सूटकेस रिक्शे पर रखते हुए बोले – चल बे, ..चौबेपुर कचहरी के पास।उनके मुख से निकला वाक्य ‘चल बे’ …निःसंदेह रिक्शे वाले के मन को न भाया।पर

साइकिल चोर – हिंदी कहानी

साइकिल वाला आया और घर के मुख्य द्वारा पर साइकिल खड़ा कर चला गया। जाते हूए, मोहब्बत की अम्मा से यह कह गया की – ” मैं अभी मालिक से मिल कर आता हूँ, मेरे साइकिल का ध्यान रखना “ लगभग आधे घंटे तक एक शाख्स दरवाजे पर खड़ा होकर कहता –अरे भाई अरे

हिंदी कहानी – डाइवोर्स

कब शादी हुई थी आपकी ? .. वकील ने ‘विभा’ की ओर देखते हुए ये सवाल किया।अह्ह..यही कोई डेढ़ साल पहले, ..विभा ने बड़े अधीर मन से; न चाहते हुए जवाब दिया। क्यों डाइवोर्स देना चाहती हैं आप ? ..विभा, ..मन में इस प्रश्न का उत्तर खोज ही रही थी कि, वकील ने कहा

सत्य घटना पर आधारित हिंदी कहानी – अंतिम इच्छा

सड़क किनारे एक घना नीम का पेड़ और उसके नीचे एक ‘साईकल रिपेयर‘ की दुकान। ..दुकान के ठीक दाहिने हाँथ पर कुछ दूरी पर स्थित एक ‘चाय की झोपड़ी‘ । सड़क के दोनों ओर खेत-खलिहान व ग्रामीण लोगों के कच्चे-पक्के मकान। वहीं पर नज़दीक स्थित एक प्राइमरी पाठशाला की आखरी घंटी बजती है और

निमकी – हिंदी कहानी

सन 1949-50, गांव के किसान ‘मंगत राम‘ अपनी बेटी ‘निमकी‘ का ब्याह दूर एक दूसरे गांव के किसान पुत्र ‘हरिओम‘ से कर रहे थे।यह वो दौर था जब भारत में बाल विवाह का होना एक सामान्य बात हुआ करती थी। घर में ब्याह के लोक गीतों का कार्यक्रम जारी था; बूढ़ी व जवान महिलाएं

लघु कथा – बिरेंदर वैज्ञानिक

हर रोज की तरह राम अवतार अपने घर पर स्कूली बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रहे थे। तभी अचानक द्वार पर एक व्यक्ति अपने 13 वर्षीय पुत्र के साथ हाज़िर होता है। द्वार पर पधारे अंजाने व्यक्ति को देखकर राम अवतार उससे सवाल करते हैं – जी आप कौन हैं ? व्यक्ति अपना परिचय देते

हिंदी लघु कथा – कमला

सन 1990, तारकेश्वर दुबे भारतीय रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर के पद से रिटायर हुए थे।रेलवे की नौकरी से सेवा निवृत होने के उपरांत उन्होंने घर में बच्चों को ट्युशन पढ़ाने का जिम्मा संभाला। हालांकि तारकेश्वर जी की पत्नी ‘कमला’ ये नहीं चाहती थी कि उनके पति एक लंबी सरकारी नौकरी करने के बाद

हिंदी कहानी – ईमान

सर्दी का मौसम शुरू होते ही राम ने सोचा क्यों न मैं माता-पिता को बताकर शहर की ओर काम के लिए निकल लू, महंगाई के मारे तो घर का खर्च अच्छे से नहीं चल पाता। पिता जी भी बूढ़े हो चुके हैं, मोची के काम से तो घर का राशन बड़ी मुशकिल से चलता

रेडियो – एक लघु कथा

सन 1980-1990 का दशक बिन रेडियो के अधूरा था। अब रेडियो के महत्त्व को क्या बतलायें; उस ज़माने में घर के हर एक सदस्य के पास अपना रेडियो होता था। बाबा का अपना, पिताजी का अपना, माँ का अपना और पढ़ने वाले बच्चों का अपना। समाचार, क्रिकेट कमेंट्री, सखी सहेली और विविध भारती लोगों