गाय का कटना रुकना चाहिए

गाय का कटना रुकना चाहिए, लेकिन भारत एक ऐसा देश है जहाँ शुरु से ही अल्पसंख्यक लोगो के हित की बात ज्यादा होती है। बहुसंख्यक लोग अगर कोई फैसला करें कि ये नहीं होना चाहिए तो उस फैसले पर बहस तो दूर सीधा-सीधा कह दिया कह जाता है की ये हमारी आज़ादी पर हमला है। जबकि ऐसा नहीं है क्योकि बाबर से लेकर राजा रणजीत और हैदर नें भी गाय की हत्या पर रोक लगा रखी थी। भारत मे आज भी 80 % हिन्दू हैं जो गाय को माँ मानते हैं उसे बुरा लगता है क्योकि उसके साथ उसकी आस्था जुडी है। वो चाह कर भी उससे अलग नहीं हो पता है लेकिन फिर भी हम बहुसंख्यक की नाराज़गी की कोई फ़िक्र नहीं करते।

आपने कभी सुना है की बकरी कटी, नहीं ना क्योकि उसका दूध हमारे लिए फायदेमंद है और गाय तो उससे भी महत्वपूर्ण पशु है जिसका दूध तो काम आता ही है साथ ही इसके मल-मूत्र भी उपयोग में आता है। गावं मे गाय को जितना सम्मान मिलता है उतना ही लोग शहर मे भी देते है। आज भी बहुत से ऐसे घर जहाँ पहली रोटी गाय के लिए निकाली जाती है।

इस बात पर आप यकीन मानें या न मानें लेकिन कई लोग सिर्फ इस लिए गाय काट देते हैं की वो ये दिखना चाहते हैं कि आप को किसी से डरने की जरुरत नहीं है, जिसका उदहारण है केरल में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा बछड़े का वध और कई लोग ऐसे हैं जो किसी के हाथ में गाय देखकर उसे मारने के लिए टूट पड़ते हैं। हमारे समाज के लिए ये दोनों ही खतरनाक हैं, लेकिन फिर भी ये लोग हीरो बन जाते हैं क्योंकि पार्टी ने गाय का कटना या ना कटना चुनावी मुद्दा बना दिया है। जैसे ही सत्ता बदलती है गौ हत्या का कानून भी बदल जाता है, अवैध बुचड़खाने जो न तो सरकार को कोई कर देते हैं और ना ही किसी नियम कानून का पालन करते हैं और ये सब सरकार के संरक्षण में ही चलते हैं। सरकार कुछ बोलती नहीं क्योंकि उनको वोट बैंक खोने का डर सता रहा होता है। आप ये सोच रहे हैं कि ये भारतीय जनता और कांग्रेस की लड़ाई है की गौ हत्या रुकनी चाहिए की नहीं, तो इस बात को ऐसे समझें कि गुजरात चुनाव में हर छोटे बड़े मंदिर मे जाकर तिलक लगवाने राहुल गाँधी जब कांग्रेस अध्यक्ष बने तो न हवन हुआ न उनका तिलक किया गया। जो साबित करता है कि राजनीति का स्तर गिर चुका है, कुर्सी के लिए नेता लोग कुछ भी कर सकते हैं। महात्मा गाँधी जिसे पूरा देश मानता है उन्होंने ने भी ये कहा था कि “मै गाय की पूजा करता हूं मै पूरी दुनिया से इसकी पूजा के लिए लड़ सकता हूँ”।

सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि कोई जानवार बुढ़ा हो गया है तो इसका ये मतलब कतई नहीं की उसे मार दिया जाए।

लेखक:
विभू राय