अभिव्यक्ति की आज़ादी Abhivyakti Ki Azadi – अपनी अभिव्यक्ति Archive

तुमसे पहले मेरी मैं हूं

सहेलियों आज का मेरा यह लेख बेहद नारीप्रधान है। मेरी लिखी एक छोटी सी कविता मुझ जैसी सभी नारियों को समर्पित है। मुझे विश्वास है कि मेरी काव्य रचना प्रत्येक स्त्री को उसके अस्तित्व की याद जरूर दिलाएगी। शीर्षक – तुमसे पहले मेरी मैं हूं .. तुमसे पहले मेरी मैं हूं, अब खुद पर

#Metoo Hashtag – मी-टू महज एक हैशटैग नहीं !

मी-टू MeToo, महज़ एक हैशटेग नहीं बल्कि अपने आप में एक दर्द की गर्दिश में छुपी हुई दुनिया है। जी हाँ आज हम एक बहुत ही संजीदा मुद्दे पर बात करने जा रहे हैं। मैं जानती हूँ कि इस विषय पर बात करना कितना ज्यादा जरूरी है, अतः मैं आपसे Metoo के प्रभाव के

भारत में औरत की आज़ादी

आज मैं जिस मुद्दे पर आप से बात करने जा रही हूँ। वह मुद्दा बेहद अहम है, खासकर हमारे देश भारत में। चंद रोज़ पहले इंटरनेट पर एक तस्वीर वायरल हुई, उस तस्वीर ने मुझे और शायद बहुत से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया; उस तस्वीर में खासतौर से तुलना की गई

नारीवाद के असल मायने

नारीवाद कोई उपलब्धि नहीं बल्कि ज़िम्मेदारी है। जी हाँ नारीवाद आजकल के दौर में एक ऐसा शब्द बन गया है जो हर एक सशक्त नारी का एक वाजिद अस्त्र और शस्त्र है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि दुनिया को आगे ले जाने के लिए नारीवाद का अपने पैरों पर खड़ा होना

अवार्ड लौटंकी के बाद जज नौटंकी

Pakheru.com पर हमेशा की तरह एक बार फिर हम कुछ अलग लेख लेकर आये हैं। इस लेख का शीर्षक “अवार्ड लौटंकी के बाद जज नौटंकी” देखकर आप समझ गए होंगे की आज का विषय किसपर आधारित है। दिनांक 12 जनवरी 2018 को सुप्रीमकोर्ट के 4 न्यायाधीशों नें सार्वजानिक रूप से प्रेसकॉन्फ्रेंस करते हुए ये

बीजेपी का चुनावी खेल

बीजेपी की राजनीति क्रिकेट खेल की तरह हो गयी है। जिस सपने या वादे के साथ ये आये थे, पहले इन्होंने विपक्ष को ऐसे कोसा जैसे हम मैच देखते हुए कहते हैं क्या घटिया खेल रहे है ये; हम होते तो छक्के मारते। सामने वाली टीम को बुरी तरह हराते, इनको बल्लेबाजी नहीं आती,

वामपंथ बनाम वामपंथ

” 5 सितंबर को रात 8:30 बजे एक और वामपंथी पत्रकार गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। यह घटना उस वक़्त हुई जब गौरी बंगलुरु स्थित राजराजेश्वरी नगर अपने घर का दरवाजा खोल रही थीं तभी कुछ अज्ञात लोगों नें उनपर गोलियां बरसायीं। गोलियां गौरी लंकेश के सिर में जा लगीं

बवाना (दिल्ली) जीत कर भी हार गये केजरीवाल

जिनको नहीं पता उनके लिए कहानी को थोड़ा सा दोहरा देते हैं फिर ऊपर लिखे मुख्य शीर्षक हां भाइयों बहनों हेडिंग पर बात होगी। देश की सारी पार्टियों में ना जाने क्यों भाजपा में शामिल होने की होड़ लगी है। लगभग हर हफ्ते कोई न कोई अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहा

डॉ भीमराव अम्बेडकर का 1948 में देखा गया सपना अब पूरा हुआ

तीन तलाक पर जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया पुरे देश में बातें होने लगी कोई इसके समर्थन में खड़ा नज़र आ रहा है तो कई लोग आज भी विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ये गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि अगले 6 माह

Digital India से रुक सकता था गोरखपुर ऑक्सीजन और मुजफ्फरनगर रेल हादसा

बड़ी ज़ल्दी में हो क्या भाई बहनों और मित्रो थोडा सब्र पकड़ो। लेख की शुरुआत राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी की एक छोटी सी कहानी से जिसमे एक माँ अपने बच्चे को लेकर बापू के पास आती है और कहती है बापू ये मीठा बहुत खाता है। आप इसे समझा दीजिये जिस पर गाँधी