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हिंदी कविता – हठधर्मिता
On October 3, 2019 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
हिंदी कविता – हठधर्मिता तुमने अभी हठधर्मिता देखी ही कहाँ है, अंतर्मन को शून्य करने का व्याकरण मुझे भी आता है,अल्पविराम, अर्धविराम, पूर्णविराम की राजनीति मैं भी जानती हूँ । यूँ भावनाशून्य आँकलन के सिक्के अब और नहीं चलेंगे,स्त्रियों का बाजारवाद अब समझदार हो चुका है,खुदरे बाजार से लेकर शेयर मार्किट तक में इनको
ग़ज़ल – कुछ देर में ये नज़ारा भी बदल जाएगा
On September 25, 2019 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
हिंदी ग़ज़ल – “कुछ देर में ये नज़ारा भी बदल जाएगा” कुछ देर में ये नज़ारा भी बदल जाएगा ये आसमाँ ये सितारा भी बदल जाएगा कितना मोड़ पाओगे दरिया का रास्ता किसी दिन किनारा भी बदल जाएगा दूसरों के भरोसे ही ज़िंदगी गुज़ार दी वक़्त बदलते सहारा भी बदल जाएगा झूठ की उम्र
ग़ज़ल – अच्छा था मेरे दर से मुकर जाना तेरा
On August 26, 2019 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
अच्छा था मेरे दर से मुकर जाना तेराआसमाँ की गोद से उतर जाना तेरा तू लायक ही नहीं था मेरी जिस्मों-जाँ केवाजिब ही हुआ यूँ बिखर जाना तेरा मेरी हँसी की कीमत तुमने कम लगाईयूँ ही नहीं भा गया रोकर जाना तेरा तुझे हासिल थी बेवजह दौलतें सारी अब काम आया सब खोकर जाना
ग़ज़ल – दो कदम साथ चलिए मेरे
On August 20, 2019 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
दो कदम साथ चलिए मेरेफिर हालात बदलिए मेरे तन ही सारा छिल जाएगा जो ज़ख्मों से गुजरिए मेरे जान जाते दर्द की गहराई साथ ही डूबिए, उभरिए मेरे ज़िन्दगी कोई हादसा लगेगी बिखरे ख़्वाबों में चलिए मेरे लेखक: सलिल सरोजमुख़र्जी नगर, नई दिल्ली
हिंदी काव्य – आज फिर एक बुद्धा की तलाश है
On May 30, 2019 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
आज फिर एक बुद्धा की तलाश है !! ये नए युग का परावर्तन तो नहीं ,कि झूठ भी यथार्थ बन जाता है ,नालंदा के ज्ञानद प्रांगण में ,आज अज्ञानी भी ज्ञानी का पद पा जाता है । सच को सच कहने के लिए ,आज फिर एक बुद्धा की तलाश है । ये महाबोधि की
हिंदी कविता – मैं अपने कामों में ईमान रखता हूँ
On May 10, 2019 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
हिंदी कविता मैं अपने कामों में ईमान रखता हूँ सो सबसे अलग पहचान रखता हूँ सब इंसान लगते हैं मुझे एक जैसे तासीर में हमेशा भगवान् रखता हूँ है महफूज़ जहाँ मुझ जैसे बन्दों से सच से लैश अपनी जुबां रखता हूँ बना रहे हिन्दोस्तान मेरा शहंशाह अपने तिरंगे में ही प्राण रखता हूँ
हिंदी ग़ज़ल – दर्द ज्यादा हो तो बताया कर
On May 8, 2019 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
ग़ज़ल दर्द ज्यादा हो तो बताया कर ऐसे तो दिल में न दबाया कर रोग अगर बढ़ने लगे बेहिसाब एक मुस्कराहट से घटाया कर तबियत खूब बहल जाया करेगी खुद को धूप में ले के जाया कर तरावट जरूरी है साँसों को भी अंदर तक बारिश में भिंगोया कर तकलीफें सब यूँ निकल जाएँगी
हिंदी कविता – न जाने किनका ख्याल आ गया
On May 6, 2019 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
हिंदी ग़ज़ल न जाने किनका ख्याल आ गयारूखे-रौशन पे जमाल* आ गया जो झटक दिया इन जुल्फों को ज़माने भर का सवाल आ गया मैं मदहोश न हो जाती क्यों-कर खुशबू बिखेरता रूमाल आ गया मैं मिट जाऊँगी अपने दिलबर पेबदन तोड़ता जालिम साल आ गया मेरे हर अंग पे है नाम उसकी कायूँ
कभी खुद का भी दौरा किया कीजिए
On April 25, 2019 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
“हिंदी कविता” कभी खुद का भी दौरा किया कीजिएजो जहर है निगाहों में पिया कीजिए झूठी सूरत, झूठी सीरत और झूठा संसारसच के खिलने का आश्वासन भी दिया कीजिए हँसी मतलबी, आँसू नकली, बेमानी सब बातेंज़ुबाँ ही नहीं, तासीर को भी सिया कीजिए हवा में सारे वायदे, बेशक़्ल सारी तस्वीरेंहिसाब को कभी तो कुछ
शायरी- तुम्हारी महफ़िल में और भी इंतज़ाम है
On April 11, 2019 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
शायरी: तुम्हारी महफ़िल में और भी इंतज़ाम है तुम्हारी महफ़िल में और भी इंतज़ाम हैया फिर वही शाकी, वही मैकदा, वही जाम है शायर बिकने लगे हैं अपने ही नज़्मों की तरफपुराने शेरों को जामा पहना कर कहते नया कलाम हैं आप शरीफ न बन के रहें इन महफिलों मेंवरना शराफत बेचने का धंधा
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