क्या आप हमेशा उदास रहते हैं – अवसाद क्या है, कैसे समझें व बचाव करें

अमूमन तौर पे उदासी एक सामान्य बात है। इंसानी जीवन में ऐसे अनगिनत पल आते हैं जो हमें उदास कर देते हैं और यह तब होता है जब कोई कार्य हमारे उम्मीद के विपरीत हो या फिर अपना प्रिय कोई दुःखदायी बात कह जय अथवा अन्य प्रकार की सामाजिक घटना। मानवीय जीवन तमाम दुःखों और भिन्न उदासियों से निरंतर गुजरता रहता।

हमारे समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनकी उदासी सामान्य सी नहीं जान पड़ती। कभी कभार तो हर कोई उदास हो जाता है, पर निरंतर उदास रहना सामान्य नहीं है। अगर ऐसा आपके साथ भी है की आप अक्सर उदास ही रहते हैं तो शायद आपको चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। निरंतर उदासी की छाया में रहने वाला व्यक्ति कब अवसाद की ओर अग्रसर हो जाता है ये उसे स्वयं पता नहीं चल पाता।

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मुख्य लक्षण:

  • वो बातें जिसमें आप रूचि लेते थे कभी, उन बातों में रूचि न लेना
  • हर वक़्त मन में बेचैनी का अनुभव करना
  • सोने का प्रयास करने पर भी नींद का ना आना
  • कभी कभी अत्यधिक नींद आना
  • शरीर में शक्तिहीनता का अनुभव करना और थकान का रहना
  • वजन बढ़ने व घटने में अनियमित्ता
  • भूख का कम होते जाना
  • याददाश्त में गिरावट और किसी विषय पर ध्यान क्रेंद्रित न कर पाना
  • स्वयं के प्रति निराशा की अनुभूति करना
  • स्वयं को बेकार, कमजोर अथवा असहाय महसूस करना
  • स्वयं के प्रति अपराध व ग्लानि की भावना का आना
  • सिर दर्द बना रहना और दवा लेने पर भी ठीक न होना
  • मित्रों के साथ समय बिताने की इच्छा का न होना
  • किसी प्रसन्न व्यक्ति को देखकर चिढ़ जाना
  • अपना कोई हंसाने का प्रयास करे तो उसपर क्रोधित हो जाना
  • फिल्म , टीवी , गाना इत्यादि जैसे मनोरंजन विषयों से दूरी
  • हर वक़्त नकारात्मक बातें करना
  • अकेले रहने में ही सुख का अनुभव करना

ऊपर लिखे लक्षण यदि आप में हैं तो यह सामान्य स्थिति नहीं है, इस प्रकार की उदासी साधारण नहीं। इस स्थिति में आप या अन्य कोई 10 से 15 दिनों या महीनों तक लगातार है तो वह केवल उदास नहीं बल्कि अवसाद ग्रस्त हो चुका है। अवसाद को अंग्रेजी को Depression कहा जाता है और डिप्रेशन एक स्वास्थ्य संबंधित समस्या ही है।

डिप्रेशन की अवस्था अगर ज्यादा समय से किसी व्यक्ति में बरक़रार रहती है तो वह मनुष्य सबसे पहले अपनों से ही दूरी बनाने लगता है। डिप्रेशन की यह सघनता उस व्यक्ति को स्वयं को क्षति पहुँचाने के लिए भी प्रेरित कर सकती है। क्षति पहुँचाने का विचार उसके मन में किसी के लिए भी आ सकता है। आत्महत्या अथवा अपने परिवार के सदस्यों को मार देने जैसी घटना इसी सघन अवसाद की देन है।

अवसाद या सघन उदासी से कैसे बचें ?

याद रहे क्षणिक उदासी या फिर कुछ दिन की उदासी एक सामान्य घटना है। उदासी ज्यादा दिनों से है या महीनो तक है तब आप स्वयं को संभालते हुए अपने किसी बेहद प्रिय व्यक्ति से बात कर उसे अपने दिल का हाल सुनाएं। ध्यान रखें, मजाकिया लोगों से गंभीर बातें शेयर नहीं करनी चाहिए अतः जिसको आप ज्यादा समझदार मानते व समझते हों उससे मिलकर अपने मन की तमाम व्यथा को बतलायें। गर हो सके तो आप कुछ दिन उसके साथ भी गुजार सकते हैं।

यदि आपको ऐसा लगता है कि आपके निकट ऐसा कोई नहीं है जो आपको गंभीरता से ले तो आप किसी चिकित्सक अथवा परामर्शदाता से मिलें। परामर्शदाता से बातचित के दौरान कुछ भी न छुपाते हुए अपना सारा हाल उसे बयां करें। अगर परामर्शदाता सामान्य व्यक्ति न होकर कोई चिकित्सक है तो वह आपकी पूरी कॉउंसलिंग करेगा। वह यह समझेगा की क्या वास्तव में आप High Depression में जी रहे हैं या किसी घटना का असर आपके ऊपर है। यह हो सकता है की चिकित्सक आपको शुरुआत में कुछ दवाईयां भी खाने को दे या किसी अन्य प्रकार की सलाह दे।

हाई डिप्रेशन में रहने वाला व्यक्ति स्वयं उससे बाहर निकल सकता है जिसके लिए जरूरी है:

  1. प्रतिदिन स्वास्थ्यप्रद भोजन ग्रहण करें
  2. पानी पीने के साथ साथ जूस का भी सेवन करें
  3. अकेले में शराब सेवन ना करें
  4. निरंतर धूम्रपान से बचें
  5. सोने और जागने का समय निर्धारित करें
  6. प्रतिदिन 7 से 8 घंटे की पूरी नींद लें
  7. निरंतर एकांत में न रहकर बाहरी दुनियां का जायजा भी लें
  8. सैर सपाटा, घूमना फिरना, खेलना कूदना, सिनेमा म्यूजिक इत्यादि को जीवन का हिस्सा बनाएं
  9. मित्रों के समूह में शामिल हो हंसी मजाक करें
  10. धर्मगुरुओं की वाणी, पूजा पाठ गतिविधि जैसी क्रियाओं में शामिल हों
  11. दिल को दुःखी कर देने वाली भावनाओं को साझा जरूर करें
  12. जो आपकी सहायता को आगे आये उसे अपनायें क्रोधित न हों
  13. वे पुस्तकें पढ़ें जिनसे जीवन के प्रति प्रेरणा जगती हो

अगर कोई अपना परिजन अवसाद से ग्रसित है तो उसकी सहायता कैसे करें ?

सबसे पहले आप उसे कोई ऐसी बात न बोलें जो उसके दिल को और दुखाये। ऐसी असावस्था बेहद गंभीर होती है, ग्रसित युवा अथवा युवती को डाँटने से बात बिगड़ सकती है। उसकी सहायता हेतु खुद को उसके समक्ष पेश करें ताकि वह धीरे धीरे कुछ बोलना कहना शुरू करे।

  • उसकी स्थिति देख उसे चिकित्सक के सामने ले जाने की पेशकश करें
  • चिकित्सक से कुछ प्रश्न आप भी पूछें और ग्रसित व्यक्ति को पूछने को कहें
  • चिकित्सक की बातें ध्यान से सुनकर उसके सुझाव को लिख लें
  • जब भी आप कहीं घूमने जाएं ग्रस्त व्यक्ति को भी अपने साथ ले जाने का प्रयास करें
  • उससे हमेशा बात करते रहे और किसी भी सूरत में उसकी बातों का उपहास न बनायें
  • उसे आश्वस्त करें की वह जल्द ठीक होगा या होगी
  • उसकी बातों में आप हमेशा यह ध्यान रखें की कहीं वह खुद से तो नफरत नहीं करने लगा या लगी
  • कहीं वह ऐसी बात तो नहीं कह रहा / रही की उसे जीने की इच्छा नहीं
  • यह भी ध्यान दें कि वह किसी अन्य व्यक्ति को मारने या क्षति करने की तो नहीं सोच रहा या रही

उदासी, अवसाद और डिप्रेशन जैसी अवस्था सामान्य तो लगती हैं मगर इनकी अधिकता बेहद असामान्य है। अतः जीवन के इन पड़ावों का डटकर मुक़ाबला करें उसके अधीन न हों। हम मनुष्य हैं और मनुष्य होने के नाते हमने धरती के तमाम ताकतवर जीवों को विजय पायी है। हम यहीं नहीं रुके हमने अंतरिक्ष में गोते लगाए और चाँद पर अपने कदम रखें। हमें कोई डिप्रेशन, तनाव, उदासी या अवसाद इतना कमजोर नहीं कर सकता। यह विश्वास स्वयं पर हमेशा रखें आप सदैव विजयी रहेंगे। उदासी की सघनता से उबार पाने के लिए श्रीमद भागवत गीता का अध्यन जरूर करें। भगवान श्री कृष्ण से बड़ा कोई मोटिवेशनल स्पीकर नहीं है और न होगा।

लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा