अल्ट्रासाउंड स्कैन क्या है ? अल्ट्रासॉउन्ड जाँच प्रक्रिया कैसे होती है

Ultrasound Scan Kya Hai अल्ट्रासाउंड जांच क्या है ? ऐसा तो कोई व्यक्ति नहीं होगा जो अपने जीवनकाल में एक बार अल्ट्रासॉउन्ड जांच की प्रक्रिया से न गुजरे। मगर अल्ट्रासाउंड क्या है , कैसे काम करता है और डॉक्टर इसकी सहायता से क्या जाँच करते हैं यह लोगों को नहीं पता होता। आज पखेरू पर हम अल्ट्रासाउंड स्कैन के बारे में जानेंगे जो सच में दिलचस्प है।



अल्ट्रासाउंड दो अलग शब्दों से मिलकर बना है जो कि इस प्रकार हैं –

Ultra + Sound , अल्ट्रा + साउंड
यहाँ अल्ट्रा का मतलब है तरंग
और साउंड का मतलब है ध्वनि
एक साथ हम इसे ध्वनितरंग का नाम देते हैं

अल्ट्रासाउंड कुल मिलाकर एक ध्वनि तरंग है और इसी ध्वनि तरंग के माध्यम से डॉक्टर हमारे शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जांच पड़ताल करते हैं। अल्ट्रासाउंड अर्थात की ध्वनितरंग में किसी प्रकार की ध्वनि अथवा आवाज़ सुनाई नहीं देती बस मानव शरीर के अंदरूनी हिस्सों की तस्वीर मॉनीटर स्क्रीन पर दिखाई देगी। आप यह हमेशा याद रखें की ultrasound और x-ray दोनों अलग अलग प्रक्रिया है मानव शरीर को जांचने की। अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे दोनों में कोई समानता नहीं है।

Ultrasound-Scan-Kya-Hai-aur-kaise-kiya-jata-hai अल्ट्रासाउंड स्कैन क्या है

कितना समय लगता है अल्ट्रासाउंड जांच प्रक्रिया में – यह बात तो पूर्णतः आपके डॉक्टर पर निर्भर करता है और आपके मर्ज पर, मगर इसमें सामान्यतः 20 से लेकर 40 मिनट तक का समय लग ही जाता है।




कैसे होती है अल्ट्रासाउंड की डॉक्टरी जांच:

कुछ जाँचों में मरीज को पानी पीने की सलाह दी जाती है ताकि उसका ब्लैडर फुल रहे जांच के दौरान।
मरीज को बेड पर लेटा दिया जाता है, इस अवस्था में वह अपने या फिर अस्पताल के दिए गाउन को पहने रहता / रहती है।
अल्ट्रासाउंड जांच ज्यादातर पेट से संबंधित विकारों और महिला गर्भावस्था के दौरान उपयोग में लिया जाता है।
जिस हिस्से की जांच करनी होती है वहां की त्वचा (Skin) पर गर्म जेल लगायी जाती है फिर उसपर अल्ट्रासाउंड मशीन की वांङ घुमाई जाती है जिसके फलस्वरूप कंप्यूटर अथवा टीवी स्क्रीन पर कुछ तसवीरें उभरकर सामने आती है जिसका आंकड़ा डॉक्टर अपने नोटबुक पर दर्ज करता / करती है।
कुछ तसवीरें लेने के दौरान मरीज को साँस रोकने की सलाह भी दी जाती है।
प्राप्त तस्वीरों की जांच डॉक्टर करता है जिसके आधार पर मर्ज का पता व दवाईयों को देने की प्रक्रिया शुरू की जाती है।

उल्ट्रासॉउन्ड से शरीर के निम्न हिस्सों की जांच:

पेट अथवा एब्डॉमिनल (abdominal scan)

इस जांच प्रक्रिया में कम से कम 6 से 8 घंटा पहले आप न तो कुछ खाएं और ना ही कुछ पीयें। Abdominal ultrasound scan में मरीज को खाली पेट रहने की सलाह दी जाती है और यदि डॉक्टर यह निर्देश देना भूल गया है तो आप ध्यान जरूर दें वरना आपका डॉक्टर के पास जाना व्यर्थ हो सकता है।

थयरॉइड (thyroid scan)

इस जाँच प्रक्रिया के शुरू होने से पहले आप अपने गले में पहने हुए गहने उतारकर रख दें। यह अल्ट्रासाउंड स्कैन मरीज के गले के आस पास होता है जिसमें मरीज को एक तह लगा हुआ तौलिया दिया जाता है जिसे वह अपने गर्दन के नीचे रखकर लेटता है।

वक्षस्थल (chest scan)

यह जांच तब होती है जब आपको या आपके डॉक्टर को आपके वक्ष, छाती अथवा चेस्ट में गाँठ के होने की आशंका हो। Ultrasound chest scan करने के पता चलता है की patient के चेस्ट में जो गाँठ है या हो सकती है वह तरल अवस्था में है या फिर ठोस अवस्था में है। Human body में गाँठ ठोस अवस्था में भी हो सकती है और द्रव्य से भरी अवस्था में भी हो सकती है।

अंडकोष अथवा अंडग्रंथि (testicle or ovary scan)

इस जांच प्रक्रिया में आपको खड़ा होने को भी कहा जा सकता है। उल्ट्रासॉउन्ड स्कैन के दौरान डॉक्टर आपको जोर लगाने को भी कह सकता है जैसा मल त्याग के दौरान किया जाता है।




श्रोणि अथवा पेल्विस (pelvis scan)

पेल्विस अल्ट्रासाउंड स्कैन से पहले आपको करीब 1 लीटर पानी पीने को कहा जाता है ताकि आपका ब्लैडर पूरी तरह भर जाये। अगर आपको जांच के लिए जाना है तो आप घर से ही पानी पीकर चलें ताकि डॉक्टर के पास जाकर आपका समय नष्ट न हो। यह जांच तभी संभव है जब आपका ब्लैडर पूरी तरह पानी से भरा हो ऐसी अवस्था में आपको मूत्र त्याग करने का भी मन बनता है पर आपको मूत्र त्याग जांच के बाद ही करना होता है। श्रोणि या पेल्विस का ultrasound scan महिलाओं की योनि संबंधित भी हो सकती है जिसमें उनके पैरों को रकाब (स्टिरप) में रखकर ऊपर उठा दिया जाता है। तस्वीरें लेने के लिए योनि में प्रोब अर्थात सलाई प्रवेश करायी जायेगी फिर जरूरी फोटो लेने के उपरांत प्रोब को बाहर निकाल लिया जाता है। महिलाओं में यह प्रक्रिया उनके गर्भावस्था के चौथे सप्ताह में किया जा सकता है या फिर जब डॉक्टर उसकी जरूरत समझे।

अल्ट्रासाउंड जांच के बाद क्या:

इस जांच से घबराने की जरूरत नहीं यह बेहद सामान्य जांच है।
अल्ट्रासाउंड स्कैन में patient को किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती।
मरीज ultrasound scan के बाद अपना सामान्य कार्य करता है।
Ultrasound और Sonography दोनों एक जैसी ही प्रक्रिया है परन्तु इनकी टेक्नोलॉजी एक दूसरे से भिन्न है।
अल्ट्रासाउंड के कुछ नतीजों को डॉक्टर तुरंत देखकर बता देता है जबकि कुछ नतीजों की व्यापक समीक्षा करने में समय लग सकता है।

ध्यान दें:
यह लेख सिर्फ जानकारी हेतु लिखा गया है, लेखक डॉक्टरी अथवा अल्ट्रासाउंड चिकित्सा से संबंध नहीं रखते हैं। यह लेख पूर्णतः आपके अल्ट्रासाउंड जानकारी को बढ़ाने के लिए लिखा गया है।

लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा