आजादी की सांस – हिंदी कविता, 15 अगस्त विशेष
On August 5, 2019 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
कितने शहीदों ने जब काल मुख में कदम रखा
तब जाकर आजादी का स्वर्णिम फल हमने चका

लक्ष्मीबाई ने किया आह्वान
जागो जागो हिंदुस्तान
मंगल पांडे ने बिगुल बजाया
हिंदू मुस्लिम तब होश में आया
भगत राजगुरु और सुखदेव ने
हंसते-हंसते दे दी जान
आजाद ने बंदूक की आखिरी गोली
अपने ही जिस्म में दे दी उतार
बेकार नहीं गई उनकी कुर्बानी
जन-जन के लहू में आई उबाल
अत्याचारी अंग्रेजों ने जब
लालाजी पर किया लाठीचार्ज
चुप न बैठ सके गांधी, नेहरू
और किया तब सोच विचार
शुरू हुआ आंदोलन का दौर
हिंदुस्तान में मच गया शोर
अंग्रेजों की फीकी पड़ गई चाल
गल न पाई कोई दाल
एक हो गया सारा राज्य
थरथर काँपा अंग्रेजी साम्राज्य
देखकर हमारी एकता की ढाल
भाग गए वो उलटे पाँव
15 अगस्त 1947 का दिन
स्वर्णिम अक्षर में लिखा गया
भारत मां की टूटी बेडियाँ
खुली हवा में हमने साँस लिया
रीना कुमारी
तुपुदाना रांची झारखंड