कॉरपोरेट – हिंदी कविता
On November 20, 2018 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
बड़ा हो या खुर्दा व्यापारी
खटमल जैसा है।
आदमी का खून चूँसना
दोनो का समान धर्म है ।।
कुच लोग ज्यादा वेतन लेकर
कम लोग अधिक काम करकर
गधे जैसा आदमी
आखाड़े का पहलवान है ।।
और सोने के भाव मिट्टी-बेचकर
टैक्स चोरी के बाईपास बनाकर
मल्या-मोदी जैसे पाकिटमारों की
परदेस में, हाथ-सफाई की दुकान है ।।
उद्योगपतियों और राजनीतिक दलों में
मालिक – कुत्तेवाला संबंध है ।
चँदा फेकना और खैरात भूँकना
व्यापारी और मंत्रीयों का धंदा है ।।
कॉरपोरेट पर सरकार का न सही
सरकारपर कॉरपोरेट का नियंत्रण है ।।
लेखक:
भास्कर सुरेश खैरनार