मदर्स डे हिंदी कविता – ममता की मूरत माँ

मदर्स डे हिंदी कविता – ‘ममता की मूरत माँ’
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ममता की मूरत है मां,
और प्रेम का है सागर।
चोट लगे जो बच्चों को तो,
छलके उसके नैन का गागर।।

अपने बच्चों की थामकर उंगली,
चलना उसने सिखलाया।
देख मुख मंडल हर्षित हो,
कई सपना मन में सजाया।।

अपने बच्चों का भरती पेट,
भले स्वयं भूखे ही रह जाती।
यही माता अंबा जननी,
और माता कहलाती।।

बेचैन दिल को मिलती राहत,
पाकर मां के आंचल की शीतलता।
हर दुख हो जाते हैं दूर,
गम एक पल नहीं टहरता।।

वृक्ष की मीठी छाव में जैसे,
नन्हे पौधे हैं लहराते।
बच्चे भी अपनी माता की,
परछाई है कहलाते।।

मां के चरणों में स्वर्ग है,
सदा याद ये रखना।
भूल से भी कभी भी उनका,
हृदय नहीं दुखाना।।

रीना कुमारी
तुपुदाना, राँची झारखंड

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    • रीना कुमारी