हिंदी कविता – मेरी पहचान

हिंदी कविता – मेरी पहचान

मेरी पहचान
मेरे पिता मेरी पहचान हैं,
मेरे सपनों की उड़ान हैं।
मेरे नन्हें कदमों की आहट पर,
मचलते उनके अरमान हैं।।

मुझको उन्होंने खूब पढ़ाया,
कुछ बनने के काबिल बनाया।
सच की राह पर मुझे बढ़ाकर,
चुनौतियों से जूझना मुझे सिखाया।।

मुझको बढ़ते देखकर उनके,
चेहरे पर आई मुस्कान है।
आने वाले कल में मुझको,
बनना उनकी पहचान है।।

मेरे कहने से पहले,
पूरे करते हर इच्छाएं हैं।
मेरा ख्याल सदा रखे वह,
मन में जो आशाएं हैं।।

पढ़ लिखकर मैं बड़ा बनूंगा,
उनके सपनों पर खरा उतरूंगा।
बनकर उनके बुढ़ापे की लाठी,
उनका सहारा सदा बनूंगा।।

उस ईश्वर को धन्यवाद है,
जिसने माता-पिता बनाया।
समुंदर से गहरा है उनका प्यार,
जिसमें हर सुख-दुख समाया।।

खुश नसीब हैं वह बच्चे जिनके,
सर पर माता पिता का साया है।
कोटि-कोटि है नमन उन्हें,
आज उन पर बहुत प्यार आया है।।

रीना कुमारी
तुपुदाना , रांची झारखंड