निर्भया तुम जिंदा हो – हिंदी कविता

निर्भया के दोषियों को हुई फांसी…।

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यह खबर सुनते ही एक संवेदनशील पीड़ा, खुशी व सुकून की भावना एक साथ मन में उमड़ पड़ी, देर से ही सही किन्तु न्याय हुआ। जब-जब दोषियों की दया याचिका कोर्ट के समक्ष पेश की जाती और उनके वकील सारे कानूनी दांव पेंच लगाकर उन्हें बचाने में लग जाते तब बस यही ख्याल आता कितना अपाहिज सा है मेरे देश का कानून जो दोषियों के दोष साबित होने के बावजूद उन्हें दंड नही दे पा रहा है और आज पूरे 7 साल लग गये। परन्तु सत्य की विजय सदैव होती है, अतः निर्भया को इंसाफ अंततः मिल ही गया।

अब एक प्रार्थना ईश्वर से, आग्रह हम सभी से कि हम सब भारत को एक सभ्य और सुरक्षित देश बनाये जहां फिर कोई ‘निर्भया’ जन्म ना ले। जन्म ले तो बस एक सुरक्षित सुदृण नारी। जहां हर एक बेटी जीवन में अपनी मुस्कुराहट का देख सके। निडर होकर अपने सपनो को साकार कर सके। हम एक ऐसा समाज बनायें जहां कोई मोहम्मद अफ़रोज़, राम सिंह, मुकेश, पवन, अक्षय, विनय जैसे अपराधी जन्म ना लें। जन्म ले तो एक जिम्मेदार, शक्तिशाली, सभ्य पुरुष जो हर नारी की रक्षा अपना कर्तव्य समझे।

निर्भया जिसके जीवन का अत्यंत ही दर्दनाक अंत हुआ उस दुर्गति के बाद भी वह अस्पताल में जीवन से आखरी सांस तक लड़ रही थी। निश्चय ही वह बहुत मजबूत थी। वह एक शक्ति थी जो सदैव प्रत्येक नारी के मन में जीवित रहेगी।

निर्भया तुम जिंदा हो
हर नारी की शक्ति बनो
निर्भया तुम समाहित रहो
हर नारी की ऊर्जा बनो।

हर कण में विसरित हो जाओ
एक ऐसा तुम विस्फोट करो
मन की सारी विक्षमता तोड़ो
सबके मन पर एक चोट करो।

हर पुरुष की तुम बिटिया बनो
तब कहीं ये ऐसा कुछ कर जाएं
अपने आंगन का फूल नहीं
जग की बगियां हाथों से सजा पाायें।

तुम ऐसी जागृत चेतना बनो
जड़ को चेतन तुम कर जाओ
जो इंसान को केवल इंसान बनाये
कह दो सबसे ना हैवान बनो।

एक बेटी का तुम सपना बनो
ऊँची उड़ान तुम कर जाओ
नहीं हो तुम कमजोर किसी से
ऐसा विचार मन बन जाओ।

तुम संदेश सभी का हो जाओ
हे नारी, ना सुकुमारी बनो
एक फूल बनो काँटों वाला
एक शूल बनो प्रहार करो।

निर्भया तुम जिंदा हो
हर नारी की शक्ति बनो
निर्भया तुम समाहित रहो
हर नारी की ऊर्जा बनो।

लेखिका:
रचना शर्मा