कम से कम इस सुंदर भारत को तो आ जाने दो
जब मैं बहुत अकेला होता हूँ, तो सोंचता हूँ। क्यों आखिर क्यों, लोग नहीं समझते आज के राजनीतिक रहस्यों को, और आपस में लड़ते हैं, झगड़ते हैं और अपना ही नुकसान करते हैं। राजनेता तो अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं, और लोगो को अपने इशारों की कठपुतली समझकर, झोंक देते है, उस आग में जहाँ से बाहर निकलते ही लोगों को अपनी मूर्खता का एहसास होता है। और वो राजनेता अपना सीना ताने कहता है कि क्या मैंने कहा था लड़ो, मरो और खून खराबा करो।
मुझे आज कोरे गांव कांड को सोंचकर काफी हताशा और हंसी भी आ रही है कि किस प्रकार दो व्यक्तियों नें इतने बड़े बुद्धिजीवी सामाज को इस सुलगती हुई आग में झोंक दिया और ये मूर्ख समाज उनकी चिकनी चुपड़ी बातों में आकर मरने और मारने पर उतारू हो गया। वास्तव में ये कमी और किसी की नही बल्कि इस मुर्दा समाज की है जो इस प्रकार के नेताओं के भड़काऊ भाषणों में आकर अपने ही राष्ट्र के विकास में बाधा बन रहा है। सरकार द्वारा दी गई सुविधाओं को नष्ट कर रहा है।
और तो और अपने अनपढ़ और गवांरुपन को भी प्रदर्शित कर रहा है। नेताओ का क्या उन्हें तो प्रायोजित आतंकवाद फैलाने का ठेका तो बड़ी पार्टियों ने दे ही रखा है और इस प्रायोजित आतंकवाद की आड़ में वे अपनी रोटियां सेंक रहे हैं । एक पार्टी जिसका शासन भारत की स्वतंन्त्रता से ही सुनिश्चित हो गया था वो आज सत्ता के लोभ में किंकर्तव्य विमूढ़ हो चुकी है और अपने सत्तासुख को पुनः प्राप्त करने के लिए इस प्रकार के प्रायोजित जातीय हिंसा को अन्जाम दे रही है।
मैं इस स्थिति में किसी पार्टी विशेष का नाम नहीं लेता लेकिन ये जरूर कहूंगा कि इस प्रकार की जातीय हिंसा किसी को ठेका देकर कर वाने वाली ये पार्टियां भारत मे हो रहे विकास कार्यों से खुश नही है। उनको ऐसा लग रहा है कि कहीं द्रुतगति से हो रहे इन विकास कार्यो की वजह से उनका अस्तित्व ही न समाप्त हो जाये और उनकी पार्टियां बस इतिहास के पन्नो में कही सिमट कर न रह जाये।
आज हमारे देश मे एक शशक्त सरकार है जिसका इरादा एक दम साफ है कि “न खाएंगे और न खाने देंगे”, इस प्रकार के इरादे वाली सरकार ने देश के विकास को एक नई ऊंचाई देने का प्रयाश किया है और आज देश ही नहीं वरन पूरे विश्व मे इस सशक्त भारत की एक पहचान बनी है। हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान जिसने पूरे भारत मे प्रायोजित आतंकवाद को जन्म दिया आज तबाही की ओर अग्रसर है और पूरे विश्व समुदाय के सामने हँसी का पात्र बना है। क्या पूर्ववर्ती सरकारें यदि चाहती तो इस प्रकार की व्यवस्था को अंजाम नहीं दे सकती थी? लेकिन नहीं वो ऐसा कर पाने में अक्षम रहीं…और वर्तमान सरकार ने इस प्रकार से लगाम कस रखी है कि की “तुम मेरे एक मारोगे तो हम तुम्हारे 10 मारेंगे, और तुम्हारी धरती पर आकर मारेंगे”, क्या ये बात एक सशक्त और बदलते भारत की तस्वीर नही खींच रही हैं।
दोस्तों अभी भी मौका है, इस बदलते हुए भारत को पूरी तरीके से बदलने दो और जो लोग जलते हैं उन्हें अपनी ही ईर्ष्या और जलन की आग में जलने दो और अपनी भूमिका को पहचानो और इस बदलते भारत के उदय में अपना योगदान सुनिश्चित करो। आप अपना कर्तव्य करो और वर्तमान सरकार को अपना कर्तव्य करने दो…जज बनकर अपने फैसले खुद मत लो और भड़काऊ भाषण देने वालों को तो हो सके तो विछिप्त मानकर उन्हें जाने दो।
कम से कम उस सुंदर भारत को तो आ जाने दो।
कम से कम उस सुंदर भारत को तो आ जाने दो।
लेखक:
मनोज मिश्र