SEO On-Page ऑनपेज ऑप्टिमाइजेशन क्या होता है ?

On Page SEO Optimization Kya Hota Hai यह सवाल बहुत लोगों के मन में आता होगा खासकर उनके जो Search Engine Optimization में अपना भविष्य तलाश रहे हैं वे अक्सर इसका उत्तर खोजते रहते हैं। यह कहना ठीक ही होगा की Internet की दुनियां को इतना ऊपर तक लाने में Google का अहम योगदान है क्योंकि गूगल सर्च इंजन के आने से वेबसाइट न सिर्फ जानकारी देने तक सीमित रही बल्कि उसके माध्यम से वस्तु को बेचा व ख़रीदा भी जाने लगा। आज दुनियां भर में प्रतिदिन लाखों वेबसाइट बन रही हैं जिनमे अधिकतर का यही उद्देश्य हैं की वह गूगल सर्च पेज पर सबसे ऊपर का स्थान प्राप्त करे। Google Search Engine Page को हम संछिप्त में SERP कहते हैं और यहाँ आने वाली वेबसाइट को Ranking का नाम दिया जाता है।



गूगल सर्च इंजन पेज पर पहला स्थान या 1 से लेकर 20 वें स्थान तक की प्राप्ति के लिए SEO Practice का सहारा लेना पड़ता है। Search Engine Optimization (SEO) के 2 प्रमुख Factor हैं –

(अ) – एस.ई.ओ ऑनपेज (SEO On Page Optimization)
(ब) – एस.ई.ओ ऑफपेज (SEO Off Page SEO Optimization)

ऊपर दिए सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के दो कारक ‘ऑनपेज‘ और ‘ऑफपेज‘ की मदद से आप अपनी वेबसाइट को गूगल समेत अन्य किसी भी सर्च इंजन के पहले पायदान पर ला सकते हैं। पखेरू पर आज का विषय SEO – On Page Optimization ही है जिसको हम विस्तार से जानेंगे।

ऑनपेज ऑप्टिमाइज़ेशन की क्रिया हम उस वेबसाइट पर करते हैं जिसे हमें प्रमोट करना है। ऑनपेज ऑप्टिमाइज़ेशन उन उपायों को संदर्भित करता है जो वेबसाइट की रैंकिंग के लिए बेहद अनिवार्य है। ऑनपेज ऑप्टिमाइज़ेशन में आवश्यक बदलाव सर्च इंजन नियमों के तहत किये जाते हैं जिनके आधार पर उक्त वेबसाइट की रैंकिंग में सुधार किया जा सके या उसकी रैंकिंग को और ऊपर उठाया जा सके।




 

ऑनपेज ऑप्टिमाइज़ेशन On Page SEO Optimization Factors in Hindi प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं –

1 – वेबसाइट के Home Page , Inner Page , Blog Page , Article Page अथवा अन्य किसी भी प्रकार के पेज का – Title , Description और Keywords जिसे मुख्यतः Meta Title , Meta Description और Meta Keywords के नाम से जाना जाता है, को दिया जाना अति अनिवार्य है। क्योंकि Meta Title , Meta Description और Meta Keywords के बिना सर्च इंजन हमारे पेज जिसे URL कहते हैं को समझ नहीं पाता। अतः सर्च इंजन को यह बताना पड़ता है की पेज का नाम क्या है , पेज किस से सम्बंधित है , पेज कौन कौन से सर्च क्वेरी के लिए उपयुक्त है।

2 – Meta Title और Meta Description की लेंथ कितनी होनी चाहिए यह भी सर्च इंजन ने सुनिश्चित किया हुआ है जैसे –

-याहू सर्च इंजन के अनुसार – Meta Description 168 chars यानी 980 pixels तक अधिकतम होना चाहिए।
-गूगल सर्च इंजन के अनुसार – Meta Description 158 chars यानी 920 pixels तक अधिकतम होना चाहिए।
-बिंग सर्च इंजन के अनुसार – Meta Description 168 chars यानी 980 pixels तक अधिकतम होना चाहिए।

उपर्युक्त दर्शाया आंकड़ा सिर्फ डेस्कटॉप पर सर्च के लिए है, वहीं मोबाइल सर्च के लिए सभी नें 120 chars यानी 680 pixels ही रखा है।

Meta Title का लेंथ 70 chars अर्थात 600 pixels तक का माना गया है।

यहाँ मैं आपको बता दूँ की अधिकतम मानक को अगर आप पार कर भी जाते हैं तो उसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। हाँ, आप ये जरूर ध्यान दें की अपने जरूरी keywords या word phrase को पहले ही include कर लें तो अच्छा रहेगा। क्योंकि गूगल 65 chars के बाद उसे अपने सर्च रिजल्ट लिस्ट में नहीं दिखाता। अक्सर हम देखते हैं की 65 से 70 chars के पूरा होते ही Google अपने SERP List में Meta Title के आगे “………” लगा देता है। ऐसा ही कुछ हम अधिकतम Meta Description के आगे भी देखते हैं।

3 – वेबपेज कंटेंट और उसमें इस्तेमाल किये गए कीवर्ड्स की डेन्सिटी। अर्थात वेबसाइट के हर पेज पर कुछ कंटेंट हो तो अच्छा रहता है साथ ही उस कंटेंट में उस पेज से संबंधित कीवर्ड्स की संख्या भी अनुपात में होनी चाहिए। जैसे अगर पेज पर 400 वर्ड्स का कंटेंट है तो उसमें 2% की कीवर्ड डेंसिटी ठीक है। यहाँ मैं एकबात आपको बता दूँ की ऐसा कोई निश्चित मानक गूगल या किसी अन्य सर्च इंजन ने नहीं दिया है। इस तरह के मानक SEO Practice करने वाले लोगों की देन है जिन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर कहा है। मौजूद समय में गूगल समेत सभी सर्च इंजन इस तरह के मानकों से आगे निकल चुके हैं। यदि आप चाहे तो इसे जारी रख सकते हैं या छोड़ भी सकते हैं, किन्तु हाँ, पेज पर कुछ कंटेंट का होना उसकी रैंकिंग में मददगार साबित हो सकता है।

4 – एक वेबसाइट का निर्माण कई प्रकार के प्रोगरामिंग कोड के माध्यम से होता है जैसे – PHP, .NET, HTML, CSS, Javascript, Jquery इत्यादि। यहाँ वेबसाइट पर css, javascript और jquery की अधिकतर फाइल्स का होना थोड़ा उसकी सर्च रैंकिंग को प्रभावित कर सकता है। अतः SEO इस बात का भी ध्यान रखता है की कम फाइलों और ऑप्टिमाइज़ कोड के तहत ही वेबसाइट बनाई जाय ताकि वह जल्दी लोड हो सके और सर्वर पर बार बार रिक्वेस्ट न भेजना पड़े।

5 – बड़ी इमेज , हाई रेसोलुशन की इमेज अगर वेबसाइट पर ज्यादा है तो वह भी वेबसाइट के स्पीड को प्रभावित करती है। इस बात का ध्यान रखना होता है की अनिवार्य जगह पर ही फोटो अथवा इमेज का इस्तेमाल हो जो की हल्का भी हो जो वेबसाइट की गति प्रभावित न करे।

6 – वेबसाइट पर इस्तेमाल होने वाली हर फोटो या इमेज का अपना नाम होना चाहिए जिसे हम ALT Text भी कहते हैं। Alt Text वही देना चाहिए जो image वास्तव में है। Alt Text के कारण ही कोई फोटो गूगल में रैंक करती है। अगर हम अपना ऑल्ट नाम सही रखेंगे तो फोटो के माध्यम से भी हमें अच्छी रैंकिंग मिलेगी।

7 – जैसा की हम सब जानते हैं, आज का दौर टेक्नोलॉजी का दौर है ऐसे में Smartphones, Tablets, Laptop और Desktop तीनों ही device पर हमारी वेबसाइट ठीक तरीके से दिखनी चाहिए जिसे हम तकनीकि भाषा में Responsive Design कहते हैं। यानी यूजर जैसा भी डिवाइस यूज़ करे वेबसाइट उस डिवाइस के अनुरूप लोड हो जाय जिससे यूजर एक्सपीरियंस बाधित न हो। तो रेस्पॉन्सिव वेबसाइट डिज़ाइन होना आज के समय की मांग है और यह SEO को ध्यान रखना चाहिए।

8 – Website Navigation या फिर Menu Links, इसे भी सही तरह से प्लेस करना चाहिए जिससे वेबसाइट पर आने वाले लोग आसानी से किसी पेज पर जा सकें। Link Navigations को वेबसाइट के header , footer और left या right जगह पर अमूमन लगाया जाता है क्योंकि यहाँ पर यूजर आसानी से उसे देखकर क्लिक कर सकता है। वेबसाइट नेविगेशन के माध्यम से हम Interlinking को मजबूत बना सकते हैं जिससे की वेबसाइट के सारे पेज आपस में इंटर-कनेक्ट हो जाएं, यह भी ऑनपेज का एक जरूरी हिस्सा है।

9 – URL Structure यह एक बेहद खास विषय है। वेबसाइट का यूआरएल स्ट्रक्चर अच्छा हो तो वह वेबसाइट की रैंकिंग में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। ध्यान रहे यूआरएल स्ट्रक्चर ऐसा बनाएं जिसे न सिर्फ गूगल समझे बल्कि यूजर भी उसे पढ़ने और लिखने में सक्षम हो। URL Structure के मानक इस प्रकार हैं –

-URL Depth 2 या 3 तक की हो तो अच्छा है जैसे – Domain Name के आगे Category > Subcategory > Then Final Page
URL में किसी special characters को नहीं डालना चाहिए जैसे – ?, … 123 // %% & इत्यादि।
अपने मुख्य Landing Page या URL को समझने योग्य बनाएं जैसे –
http://www.pakheru.com/seo-tutorial/
http://www.pakheru.com/indian-politics/
http://www.pakheru.com/health/

10 – Canonical Tag या फिर Canonical URL, ये हर पेज पर रखना अनिवार्य होता है। कैनोनिकल यूआरएल देने का अभिप्राय बस इतना है की गूगल को हम यह बता दे की हम कौन सा यूआरएल इंडेक्स करना चाहते हैं अर्थात हमारा वास्तविक यूआरएल कौन सा है। एक यूआरएल के कई वेरिएंट हो सकते हैं ऐसे में गूगल हमारे पेज को डुप्लीकेट मान सकता है। इसलिए पेज डुप्लीकेसी को समाप्त करने के लिए हम अपना एक यूआरएल निश्चित कर लेते हैं जिसे कैनोनिकल टैग के अंदर दे दिया जाता है और फॉर गूगल उसी यूआरएल को इंडेक्स कर अपने सर्च पेज पर दर्शाता है।




11 – Meta Robots Tag यह भी एक खास मेटा टैग है जिसके माध्यम से हम यह सुनिश्चित करते हैं की कौन सा पेज हमें गूगल में इंडेक्स करना है और कौन सा नहीं करना है। रोबोट्स टैग के अंदर ही Index Noindex , Follow Nofollow जैसी condition को set करते हैं। यह टैग काफी महत्व रखता है इसके गलत इस्तेमाल का बहुत बुरा असर पड़ सकता है अतः आप अगर इसकी जानकारी सही नहीं रखते तो इसके इस्तेमाल पूर्व किसी से सलाह जरूर लें।

12 – Page Keywords, ऐसा देखने में आता है की लोग एक पेज के लिए 15 से 20 कीवर्ड्स का चुनाव कर लेते हैं जो की पूरी तरह गलत है। एक पेज के लिए अधिकतम पांच कीवर्ड्स को चुनना ठीक रहता है। 5 कीवर्ड्स का मिश्रण Short Tail और Long Tail के रूप में तैयार करना चाहिए यानी छोटे और बड़े कीवर्ड फ्रेज को मिलाकर कुल पांच कीवर्ड हों तो अच्छा है।

13 – Page Load Speed, वेबसाइट अगर जल्दी लोड हो जाय तो वह अच्छी मानी जाती है और आज के बदलते SEO की दुनियां में वेबसाइट का तेज़ गति से लोड होना बेहद जरूरी है। https://developers.google.com के अनुसार आपके पेज की गति कैसी है आप यह देख सकते हैं। 100 में 80 का स्कोर करने पर यह अच्छी गति मानी जाती है और यदि 85 से ज्यादा स्कोर आप करते हैं तो आपकी वेबसाइट excellent है। आज वेबसाइट पेज लोड स्पीड onpage seo का एक जरूरी factor बन चुका है।

14 – Header Tags, शायद आप इससे परिचित हों पर आप जान लें – H1, H2, H3, H4, H5, H6 को हेडर टैग कहा जाता है। हम पहले ही जान चुके हैं की वेबसाइट के हर पेज पर कंटेंट होना अच्छा है, कंटेंट है तो उसमें उस पेज से रिलेटेड कीवर्ड का होना अच्छा है और कीवर्ड्स है तो उसे हेडर टैग में इस्तेमाल किया जाना और भी अच्छा है। कम से कम H1 और H2 का उपयोग तो कर ही लेना चाहिए। किसी भी पेज के 2 प्रमुख कीवर्ड को H1 और H2 में जरूर डालें। ऐसा करने से गूगल H1 या H2 में आने वाले कीवर्ड को विशेष तरहीज देता है जो कहीं न कहीं हमारी रैंकिंग को उस कीवर्ड के लिए ऊपर उठाने में सहायक है।

15 – Sitemap.xml सर्वर फाइल, यह फाइल विशेष है क्योंकि इसमें हम अपनी वेबसाइट के खास URL को शामिल कर उनकी location, priority, change frequency को बताते हैं। एक फाइल में हम 50,000 URL तक डाल सकते हैं किन्तु एक फाइल में 500 URL से ज्यादा URL रखना ठीक नहीं। अगर आपकी वेबसाइट के 500 से ज्यादा यूआरएल हैं तो आप एक से ज्यादा sitemap.xml फाइल बनाकर सर्वर पर डालें। यह फाइल सर्वर पर डालने के बाद Google Search Console अर्थात Webmaster Tool में भी submit करना अनिवार्य है, जिससे गूगल हमारे प्रमुख यूआरएल को जल्द इंडेक्स करे और जान सके की हमारे सबसे जरूरी पेज कौन कौन से हैं। अगर आपको किसी की वेबसाइट का sitemap.xml फाइल देखना है तो उसके domain name के आगे sitemap.xml लिखकर एंटर कर दें।

16 – Robots.txt सर्वर फाइल, यह फाइल भी विशेष स्थान रखती है। इसकी मदद से हम Google Bot, Search Engine Bot को यह बताते हैं की वेबसाइट पर क्या Crawl करना है और क्या Crawl नहीं करना है। इसके अंतर्गत User Agent, Disallow और Allow जैसे command चलते हैं। अगर आपको किसी की वेबसाइट का robots.txt फाइल देखना है तो उसके domain name के आगे robots.txt लिखकर एंटर कर दें।

17 – Google Analytics और Google Search Console को प्रतिदिन देखने की आदत डालें। वहां दिखाए जाने वाले डेटा को अच्छे से समझें और उसके अनुसार अपनी SEO Technique में बदलाव करते रहें। जैसे – किन कीवर्ड्स से आपकी वेबसाइट सर्च हो रही है, कितने लोग प्रतिदिन आ रहे हैं, कहाँ से लोग आ रहे हैं, सबसे ज्यादा कहां पर और किस पेज पर क्लिक हो रहे हैं, वेबसाइट पर यूजर फ्लो किस ओर है, वेबसाइट पर यूजर टाइम कितना दे रहा है, वेबसाइट का बाउंस रेट कितना जा रहा है, कीवर्ड्स की सर्च रैंकिंग कैसी है इत्यादि।

18 – Nofollow और Follow Link Condition कैसे लागू करें। SEO onpage में इसका भी अहम कार्य है। जब भी आप किसी बाहरी वेबसाइट को अपनी वेबसाइट से लिंक देते हैं तो उसे rel=”nofollow” देना सही रहता है। यह विशेषकर social media link के ऊपर तो लागू करना ही चाहिए। Facebook, Twitter, Pinterest, Linkedin, GPlus जैसे अनगिनत सोशल मीडिया नेटवर्क पर कंपनी पेज होते हैं ऐसे में उसे अपनी वेबसाइट पर लगाकर हमेशा Nofollow ही रखना चाहिए जिससे हमारे उस पेज का link juice उनके साथ शेयर न हो। अपनी वेबसाइट के कुछ inner pages को भी अपने home page से Nofollow लिंक ही देना चाहिए जैसे – term condition page, policy privacy page, contact us page इत्यादि को हमेशा होम पेज से rel=”nofollow” ही रखें।

19 – Google Search Console जिसे Google Webmaster Tool के नाम से भी जाना जाता है, को प्रतिदिन देखने के साथ साथ उसमें हमेशा Crawling Errors को चेक करते रहें जैसे – 404 error, broken links आदि प्रमुख रूप से आते हैं। रेगुलर एरर मॉनिटरिंग जरूरी है और यदि एरर दिखाई दें तो उनको समय से ठीक करते चलें।

अंत में,

SEO Onpage Ko Hindi Mein जानने वालों के लिए यह लेख सच में बेहद महत्वपूर्ण है। मैंने अपने अनुभवों को आपसे साझा किया है, यदि आप भी search engine optimization के क्षेत्र से आते हैं तो एस.इ.ओ ऑनपेज की यह बेहतरीन चेकलिस्ट आपको On Page सिखने में जरूर मदद करेगी।

नीचे आप कोई प्रश्न पूछना चाहें तो कमेंट कर जरूर पूछें या आप अपने सुझाव भी हमें दे सकते हैं।




लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा

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