नई शिक्षा नीति 2019 – महत्त्वपूर्ण जानकारी
बच्चे देश का भविष्य होते हैं, इसलिए बच्चों को जितनी अच्छी शिक्षा प्राप्त होगी उतना ही ज्यादा हमारे देश का विकास होगा। वह शिक्षा ही होती है जो किसी विकासशील देश को विकसित बनाने में मदद करती है। बिना शिक्षा के एक अच्छे देश व अच्छे समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। बस इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति की रूपरेखा को तैयार किया गया है। आइए इस लेख में हम नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से जानते हैं कि नई शिक्षा नीति क्या है।
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नई शिक्षा नीति क्या है (What is New Education Policy in Hindi) ?
नई शिक्षा नीति में उन बातों पर ध्यान दिया गया है जो हमारे भारत देश को विकासशील और प्रगतिशील बनाने में सहायक होगी। इस नई शिक्षा नीति को इसरो के सेवानिवृत्त अध्यक्ष डॉक्टर कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में ड्राफ्ट किया गया है, जिसमें शिक्षा प्रणाली की कमियों को दूर करने का प्रयास दिखाई दे रहा है।
नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट की खास बातें (Highlights of Draft New Education Policy)
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नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में बच्चे की आरंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में आवश्यक बदलाव की पूरी कोशिश की गयी है। इसमें बच्चे के सीखने से लेकर प्रोफेशनल स्किल्स पर भी जोर दिया गया है। नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में और कौन-कौन सी चीजों पर जोर दिया गया है ? आइए इसके बारे में आगे विस्तार जानते हैं –
(1)
इस ड्राफ्ट के तहत बच्चे की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होगी। शुरू से ही बच्चे को नैतिक मूल्यों एवं व्यवहारिकता सिखाने के लिए पंचतंत्र की कहानियां तथा उसी प्रकार की अन्य प्राचीन भारतीय साहित्य को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
(2)
नई शिक्षा नीति में सबसे अधिक बल बच्चे के सीखने पर दिया जाएगा जिससे कि बच्चा अपने जीवन में घटित होने वाली घटनाओं से कुछ न कुछ सीखता रहे।
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(3)
नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट के अनुसार एक बच्चे में शिक्षा के द्वारा तर्कशक्ति, किसी भी समस्या के समाधान का कौशल, आलोचनात्मक-चिंतन एवं सामाजिक और भावनात्मक कौशल आदि सिखाने को बढ़ावा देना है।
(4)
आज के डिजिटल युग में बच्चों में पुस्तक पढ़ने की आदत कम हो गई है। बच्चों में किताबें पढ़ने की आदत विकसित हो इसके लिए स्कूलों की लाइब्रेरी पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इसमें 10+2 की जगह पर 5+3+3+4 का पैटर्न होगा, ताकि बच्चों के अंदर से रटकर परीक्षा पास करने की आदत को दूर किया जा सके।
(5)
नई शिक्षा नीति के द्वारा कोचिंग संस्थानों के कल्चर को समाप्त किया जाएगा। साथ ही परीक्षा बच्चे के लिए बोझ जैसी ना हो इसके लिए बच्चे को तैयार किया जाएगा। अंग्रेजी के महत्व को कम करना, अकादमी एवं प्रोफेशनल के अंतर को खत्म करना, किताबी ज्ञान से ज्यादा व्यावहारिक ज्ञान पर जोर देना आदि इस शिक्षा का उद्देश्य है।
(6)
इस ड्राफ्ट के तहत प्रारंभिक वर्षों में हर बच्चे को बागवानी, मिट्टी के बर्तन, बिजली का कार्य, लकड़ी का कार्य आदि के बारे में पढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही माध्यमिक शिक्षा में हर एक बच्चे को चाहे वह विज्ञान या इंजीनियरिंग का ही विद्यार्थी क्यों ना हो उसको कला जैसे – नृत्य, संगीत, काव्य, चित्रकारी, शिल्प कला आदि का अध्ययन कराया जाएगा। ऐसा करने से एक बच्चे के अंदर व्यक्तित्व की नींव मजबूत होगी।
(7)
लड़कियों की शिक्षा जारी रहे इसके लिए भी इस ड्राफ्ट में सुझाव दिया गया है। इसके अलावा इस ड्राफ्ट में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय को 12वीं तक करने की सलाह भी दी गई है।
(8)
इस ड्राफ्ट में शिक्षकों के सपोर्ट के लिए तकनीकि के इस्तेमाल पर भी ध्यान देने की बात कही गई है। इसके अंतर्गत मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप आदि का प्रयोग करके और इनमें विभिन्न प्रकार के ऐप का इस्तेमाल करके एजुकेशन को दिलचस्प बनाने की सलाह दी गई है।
क्या नई शिक्षा नीति कामयाब होगी (Will the New Education Policy Succeed) ?
एनईपी (NEP) का यह मानना है कि नई शिक्षा नीति को आगे बढ़ाने में जो सबसे बड़ा योगदान होगा, वह शिक्षकों का होगा। शिक्षक ही वह आधार होंगे जिनके द्वारा शिक्षा की इस क्रांति को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही एनसीईआरटी (NCERT) के पूर्व डायरेक्टर जे.एस. राजपूत का कहना है कि यदि शिक्षकों को अधिकार संपन्न बना दिया जाए तो शिक्षा की इस नई नीति को कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता। इनका यह मानना है कि शिक्षा और शिक्षकों को उनका अधिकार देने, शिक्षकों पर भरोसा करने, उनको पेशेवर तौर-तरीकों से तैयार करके, उन्हें उनके अपने कार्यों को पूरा करने में मदद करने जैसे कामों पर जोर देना इस नई शिक्षा नीति के लिए पहला कदम होगा।
नई शिक्षा नीति की क्यों आवश्यकता पड़ी (Why the Need for a New Education Policy) ?
देश को नई शिक्षा नीति की आवश्यकता क्यों पड़ी ? इसके एक नहीं कई कारण हैं जो कि निम्नलिखित हैं –
(क)
मौजूदा शिक्षा नीति उन उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई जिसकी सभी को उम्मीद थी। जैसे कि उद्योग व्यापार जगत से लगातार इस बात की चिंता जताई जा रही थी कि स्कूलों एवं कॉलेजों से ऐसे युवा नहीं निकल पा रहे हैं जो उनकी जरूरत के अनुसार उपयुक्त हों।
(ख)
मौजूदा शिक्षा नीति के तहत ज्ञान की बजाय अधिक अंक पाने की कोशिश की जाती है, जबकि यह बात सब जानते हैं कि किताबी ज्ञान का महत्व एक सीमा तक ही रहता है। इसके बाद भी नए तौर-तरीकों को महत्व नहीं दिया गया।
(ग)
वर्तमान शिक्षा नीति में नैतिक आचार-व्यवहार की कमी को साफ देखा जा सकता है।
(घ)
नई शिक्षा नीति में यह भी सलाह दी गई है कि लोग डिग्री और डिप्लोमा के लिए या फिर नौकरी पाने के लिए शिक्षा को आधार ना बनाएं, बल्कि शिक्षा के द्वारा इनके मानसिक विकास और सोचने समझने की शक्ति में बढ़ोत्तरी हो।
(ङ)
नई शिक्षा नीति में राज्य तथा संघ शासित प्रदेशों को अपने उपलब्ध संसाधनों के अनुसार अपनी प्राथमिकताओं को तय करने और योजना के प्रावधान को लागू करने का सुझाव भी शामिल है, जिसकी कमी को मौजूदा शिक्षा नीति में साफ देखा जा सकता है।
(च)
इसके अलावा यह बात भी सच है कि स्कूलों और कॉलेजों से पढ़ाई करके बाहर निकले युवाओं ने देश और दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है, लेकिन यह बात भी सही है कि ऐसा अवसर केवल कुछ छात्रों को ही प्राप्त हो सका है जिसकी वजह कहीं ना कहीं मौजूदा शिक्षा नीति ही है।
लेखिका:
ज़रनैन अंसारी