ब्लॉग कैसे बनायें – हिंदी में जानें

ब्लॉग कैसे बनायें

इस प्रश्न का उत्तर गूगल पर काफी लोगों द्वारा खोजा जा रहा है। यदि आप मेरा यह लेख पढ़ रहे हैं तो निःसंदेह आप भी ब्लॉग कैसे बनायें नामक प्रश्न का उत्तर तलाश रहे होंगे। यकीन मानिये आपकी तलाश अब पूरी हो गयी है क्योंकि इस लेख को पढ़कर आप ब्लॉग बनाने के संबंध में उन सभी प्रश्नों के जवाब जान पायेंगे जिनकी आप तलाश कर रहे थे।

पहला प्रश्न – क्या आप जानते हैं ब्लॉग क्या होता है ?

ब्लॉग कुछ नहीं ऑनलाइन वेबसाइट का ही एक प्रारूप होता है। किन्तु यह अन्य वेबसाइटों से काफी अलग होता है। वेबसाइटों का नाम तो हम कई वर्षों से सुनते आ रहे हैं और अपने दैनिक जीवन में प्रतिदिन ऑनलाइन जाने कितनी वेबसाइटों को देखते भी होंगे। फेसबुक, इंस्ट्राग्राम, अमेज़न, फ्लिपकार्ट, आजतक, जागरण, यूट्यूब, इत्यादि यह सभी अलग-अलग प्रकार की वेबसाइटें ही हैं।

इन सभी के अतिरिक्त “ब्लॉग” भी एक प्रकार की वेबसाइट ही है जो अन्य वेबसाइटों की तरह ऑनलाइन उपलब्ध होती है। ब्लॉग वेबसाइट पर यूजर जाकर उसपर लिखे आर्टिकल को पढ़ते हैं, उसपर मौजूद फोटो को देखते हैं और उसपर जोड़े गये वीडियो को भी देखते हैं। अमूमन तौर पर ब्लॉग वेबसाइट पाठन सामग्री के लिए ही जानी जाती है। कहने का तात्पर्य यह की आप ब्लॉग को एक वेबसाइट ही समझें जिसपर जाकर हम किसी के द्वारा लिखे गये लेख को पढ़ते हैं जैसा की आप मेरे ब्लॉग पखेरू पर मेरा यह लेख पढ़ रहे हैं।

दूसरा प्रश्न – ब्लॉगिंग किसे कहते हैं ?

अपने ब्लॉग पर लेखन करना ब्लॉगिंग कहलाता है अर्थात अपनी रूचि के आधार पर ऑनलाइन किया जाने वाला लेखन कार्य ही “ब्लॉगिंग” कहलाता है। इसे आप साधारण भाषा में समझें, पखेरू मेरा ब्लॉग है और मेरे द्वारा इसपर किया जाने वाला लेखन कार्य ब्लॉगिंग है।

तीसरा प्रश्न – ब्लॉगर का मतलब क्या होता है ?

ब्लॉगर एक व्यक्ति होता है (स्त्री पुरुष दोनों) जो अपने ब्लॉग पर ब्लॉगिंग करता है। मैं रवि प्रकाश शर्मा एक ब्लॉगर हूँ जो अपने पखेरू नामक ब्लॉग पर ब्लॉगिंग करता हूँ अर्थात लिखता हूँ।

ब्लॉग कैसे बनायें यह जानने से पहले ऊपर व्यक्त किये गए सभी प्रश्नों को जानना भी जरूरी था। हो सकता है कि आप पहले से ही इन प्रश्नों एवं बातों को जानते हों किन्तु इन्हें पुनः समझ लेने में कोई बुराई नहीं। चलिए कुछ और बातों को समझ लेते हैं –

ब्लॉग वेबसाइट 2 प्रकार की होती है:

1 – फ्री ब्लॉग वेबसाइट:

इसमें ऐसे बहुत सारे ऑनलाइन माध्यम आते हैं जिनका इस्तेमाल कर आप अपना ब्लॉग बना सकते हैं और बिना रुकावट एवं तकनीकि ज्ञान के आसानी से लेखन कार्य कर सकते हैं। Google Blogger और WordPress Blog यह दो सबसे बड़े फ्री ऑनलाइन माध्यम हैं जहाँ पर आप अपने ब्लॉग का निर्माण कर सकते हैं। इसके लिए आपको पैसा खर्च करने की कोई आवश्यकता नहीं।

2 – पेड ब्लॉग वेबसाइट:

इसमें डोमेन, होस्टिंग एवं ब्लॉग टैम्प्लेट की आवश्यकता पड़ती है। ब्लॉग टेम्पलेट तो फ्री में उपलब्ध हो जाते हैं किन्तु Domain एवं Hosting के लिए आपको सालाना कुछ रकम चुकानी पड़ती है। इतना ही नहीं पेड ब्लॉग वेबसाइट का निर्माण एवं इसपर कार्य करने के लिए आपको तकनीकि ज्ञान की भी आवश्यकता पड़ती है।

फ्री ब्लॉग या पेड ब्लॉग – दोनों में से कौन सा माध्यम चुनें ?

यदि आप लेखन के प्रति बहुत गंभीर हैं और खुद को एक ब्लॉगर के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, यहाँ तक की आप ब्लॉगिंग से पैसे भी कमाना चाहते हैं तब आप सदैव पेड ब्लॉग बनाने की ओर रुख करें। फ्री ब्लॉग उन लोगों के लिए बेहतर विकल्प है जो अस्थायी रूप से ब्लॉगिंग करना चाहते हैं अर्थात ब्लॉगर बनना या ब्लॉग से पैसा कमाना उनका लक्ष्य नहीं।

क्या फ्री ब्लॉग वेबसाइट का इस्तेमाल कर कोई ब्लॉगर नहीं बन सकता ?

ब्लॉगर तो आप दोनों ही माध्यम में कहलायेंगे चाहे पेड हो या फ्री। किन्तु जैसा मैंने ऊपर कहा यदि आप ब्लॉगिंग करने को लेकर बेहद गंभीर हैं, किसी मुकाम पर पहुंचना चाहते हैं अथवा आय का माध्यम बनाना चाहते हैं तब आप फ्री का खयाल त्याग दें।

क्या समस्यायें हैं फ्री ब्लॉग वेबसाइट का इस्तेमाल करने में ?

ऑनलाइन मिलने वाली तमाम फ्री ब्लॉगिंग वेबसाइटों पर आप केवल लेखन कर सकते हैं किन्तु अपने लेखन कार्य को कोई दिशा नहीं दे सकते। यहाँ पर आपको पहले से निर्धारित एक निश्चित दायरे में ही कार्य करना होता है। फ्री ब्लॉग वेबसाइट पर बदलाव को लेकर आप उतने आजाद नहीं होते जितने कि पेड ब्लॉग वेबसाइट पर होते हैं।

गूगल सर्च रैंकिंग की अगर मैं बात करूँ तो यहाँ भी फ्री ब्लॉग वेबसाइट पहले पेज पर देखने को नहीं मिलती। गूगल अपने सर्च रिजल्ट पेज पर पेड वेबसाइटों को दिखाना ही पसंद करता है। फ्री ब्लॉग पर आपके द्वारा अच्छे लिखे गए लेख भी पेड ब्लॉग के आगे दबे से रह जाते हैं। सीधे शब्दों में इसका अर्थ ये हुआ की फ्री ब्लॉग को पेड ब्लॉग के मुकाबले बहुत ज्यादा पाठक नहीं मिल पाते।

चूँकि फ्री ब्लॉग का कोई भी इस्तेमाल कर सकता है अतः ज्यादातर इस तरह के ब्लॉग पर लिखा जाने वाला कॉन्टेंट गूगल की गुणवत्ता पर खरा नहीं उतरता। अधिकांश लोग इस तरह के फ्री ब्लॉग पर कॉन्टेंट स्पैम करते नजर आते हैं अर्थात लेखन की आड़ में गंदगी फैलाना जिसे गूगल पसंद नहीं करता। हो सकता है आप फ्री ब्लॉग माध्यम का इस्तेमाल कर आप बेहद अच्छा लेखन कर रहे हों किन्तु फिर भी आपको उम्मीद के अनुसार परिणाम नहीं आयेगा और फिर उस लेखनी का फायदा ही क्या जिसको पढ़ने वाला कोई ना हो।

आ गए हम फिर उसी सवाल पर ब्लॉग कैसे बनायें ?

ब्लॉग कैसे बनायें का जवाब देने से पहले जो मैंने ऊपर जो प्रवचन दिए हैं उसका केवल इतना ही उद्देश्य था की ब्लॉगिंग करने को लेकर जो लोग गंभीर हैं वे फ्री ब्लॉग बनाने का खयाल छोड़ कर पेड ब्लॉग पर आयें नहीं तो उन्हें हताशा ही हाँथ लगेगी।

अतः ब्लॉग कैसे बनायें के सवाल में थोड़ा परिवर्तन करते हुए यह पूछते हैं की पेड ब्लॉग कैसे बनायें ?

सच कहूं तो पेड ब्लॉग वेबसाइट का निर्माण करना भी बेहद सरल है। यह ज्यादा सरल उन लोगों के लिए बन जाता है जिन्हें कंप्यूटर की शिक्षा प्राप्त है। किन्तु वे लड़के लड़कियां जिन्हें कंप्यूटर का ज्ञान नहीं वे यूट्यूब वीडियो का सहारा ले सकते हैं। यदि यूट्यूब के माध्यम से भी वे ब्लॉग निर्माण करना नहीं सीख पा रहे हैं तब मैं रवि प्रकाश शर्मा आपकी मदद के लिए सदैव उपलब्ध हूँ। घबराइये नहीं मैं आपसे कोई पैसे नहीं लूंगा, मेरी सेवायें पूरी तरह फ्री हैं।

1 – डोमेन नेम (domain name):

सर्वप्रथम आप किसी भी डोमेन रजिस्ट्रार से एक डोमेन खरीद लें। डोमेन नेम आपके ब्लॉग या वेबसाइट का नाम मात्र होता है; जैसा की मेरा डोमेन नेम है Pakheru.com. अतः आप भी कोई अच्छा सा डोमेन नेम सोचकर ऑनलाइन खरीद सकते हैं। अगर आपके डोमेन में .com का एक्सटेंशन है तब यह कुछ आपको महंगा मिलेगा। अगर आपके पास ज्यादा बजट नहीं है तब आप .net, .org, .in जैसे डोमेन एक्सटेंशन वाले नाम भी ले सकते हैं।

2 – होस्टिंग सरवर (hosting server):

होस्टिंग सरवर एक प्रकार का वेब स्पेस होता है जहाँ आप अपनी वेबसाइट या ब्लॉग की फाइलों को रखते हैं। बहुत सारी होस्टिंग प्रोवाइडर कंपनियां हैं जो सस्ती महँगी सभी प्रकार की होस्टिंग सर्विसेज दे रही हैं। बेहतर होगा की आप डोमेन और होस्टिंग दोनों एक ही कंपनी से लें। यदि आपको कहीं डोमेन सस्ता मिल रहा है और कहीं होस्टिंग सस्ती मिल रही है तो आप अपने ब्लॉग के लिए डोमेन नेम एवं होस्टिंग सरवर को अलग-अलग कंपनी से भी खरीद सकते हैं।

3 – वेब डिज़ाइन / ब्लॉग डिज़ाइन अथवा टेम्पलेट:

मान लिया आपने Domain भी खरीद लिया और Hosting भी खरीद ली। अब बारी आती है डिज़ाइन की, यदि आप केवल ब्लॉग लेखन करना चाहते हैं तब आपको वेब डिज़ाइन पर पैसे खर्च करने की कोई आवश्यकता नहीं।

WordPress, यह दुनियां का अब तक का सबसे सफल CMS है जिसकी मदद से अब तक न जाने कितनी वेबसाइटें बनी हैं और रोजाना बन रही हैं। वर्डप्रेस को न सिर्फ सर्विस वेबसाइट के लिए अच्छा माना जाता है बल्कि यह ब्लॉग निर्माण के लिए सर्वोत्तम प्लेटफॉर्म है।

आप ऑनलाइन वर्डप्रेस के अनेकों ब्लॉग थीम मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं जो आपके ब्लॉग को न सिर्फ सुंदरता प्रदान करते हैं बल्कि उसे गूगल सर्च इंजन के अनुरूप भी बनाते हैं। वर्डप्रेस थीम बनांने वाली कंपनियां पेड एवं फ्री दोनों तरह की थीम प्रदान करती हैं। यह भी देखने को मिलता है की थीम बनाने वाली कंपनी अपने किसी अच्छे थीम को पुराना हो जाने पर यूजर के लिए फ्री उपलब्ध करा देती हैं। अतः अनेकों फ्री ब्लॉग थीम आपको वर्डप्रेस की मिलेंगी जिन्हें थोड़ा बहुत कस्टमाइज कर अपने उपयोग में ले सकते हैं।

यदि आप वर्डप्रेस थीम का उपयोग करना नहीं जानते और वर्डप्रेस ब्लॉग निर्माण में कठिनाई महसूस कर रहे हैं तब आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं। मैं आपके वर्डप्रेस ब्लॉग निर्माण में पूरी सहायता करूँगा। मेरे अतिरिक्त आप यूट्यूब का भी सहारा ले सकते हैं।

ऊपर लिखे 3 स्टेप को पूरा करते ही आपका 90% कार्य पूरा हो जाता है।
अर्थात आपका ब्लॉग ऑनलाइन तैयार है। किन्तु रुकिए कुछ जरूरी बातें मैं आपसे साझा करना चाहता हूँ जो आपके ब्लॉग को गूगल सर्च इंजन में टॉप स्थान पर लाने में सहायक होगी –

ब्लॉग केटेगरी और पोस्ट यूआरएल क्या है ?

डोमेन, होस्टिंग लेना और फिर वर्डप्रेस ब्लॉग थीम अपलोड करने के बाद सबसे जरूरी कार्य होता है ब्लॉग के स्ट्रक्चर को तैयार करना जिसमें केटेगरी एवं पोस्ट यूआरएल को समझना जरूरी है।

Category: ब्लॉग पर केटेगरी का चुनाव आप अपने विषय के अनुरूप कर सकते हैं। आप जितनी मर्जी चाहे उतने केटेगरी का निर्माण कर सकते हैं। मुख्यतः केटेगरी का निर्माण अलग-अलग विषयों को संग्रहित करने के लिए ही किया जाता है ताकि यूजर किसी विशेष विषय को पढ़ने के लिए उस विशेष केटेगरी पर क्लिक करे एवं उसके अंदर मौजूद आर्टिकल को पढ़े।

फैशन, ट्रेवल, फिल्म, शिक्षा, स्वास्थ, टेक्नोलॉजी, …इत्यादि नाम की केटेगरी बनाकर इनसे सम्बंधित लेख को एक जगह संग्रहित किया जा सकता है। इसके अलावा केटेगरी अपने आप में ब्लॉग पेज की तरह भी बर्ताव करती है। यानि, यदि किसी ब्लॉग पर 5 केटेगरी है तो यह माना जायेगा की उस ब्लॉग पर 5 केटेगरी पेज हैं।

उदहारण के लिए नीचे दी गयी फोटो को ध्यान से देखें – लाल घेरे में मैंने अपने ब्लॉग पर मौजूद ‘केटेगरी’ को दर्शाया है।

अगर आप उन केटेगरी पर क्लिक करेंगे तो वह पेज के रूप में लोड होंगी जिनके अंदर केटेगरी से संबंध रखने वाले लेख मौजूद हैं। अतः आप समझ गए होंगे की कैसे अपने लेख को केटेगरी के अंदर संग्रहित किया जाता है।

Post URL: पोस्ट यूआरएल हमारे द्वारा पब्लिश्ड किये गए किसी लेख का लाइव यूआरएल होता है। वर्डप्रेस और ब्लॉगर में इसे Permalink के नाम से जाना जाता है। यह हमारे ऊपर निर्भर है की हम किसी लेख का क्या पर्मालिंक बनाना चाहते हैं। पर्मालिंक बॉक्स में हम जो भी लिखेंगे वही हमारा पोस्ट यूआरएल के रूप में लाइव दिखाई देगा।

उदहारण के लिए नीचे दिए गए फोटो को ध्यान से देखें – लाल घेरे में तीर के माध्यम से मैंने केटेगरी नेम एवं पोस्ट यूआरएल अथवा पर्मालिंक को दर्शाया है।

फोटो में दर्शाये गए लाल घेरे में आप स्पष्ट देख पा रहे होंगे की कैसे Category + Post URL को एक साथ लाया गया है।
ध्यान से देखें – “hindi-nibandh” यह मेरे द्वारा निर्मित मेरे ब्लॉग की एक केटेगरी है।
ध्यान से देखें – “naari-shiksha” यह मेरे द्वारा निर्मित मेरे नारी शिक्षा पर आधारित लेख का पोस्ट यूआरएल है अर्थात पर्मालिंक है।

अब बात को ध्यान से समझें,
जब भी कोई यूजर गूगल सर्च में कोई कीवर्ड जैसे – नारी शिक्षा, नारी शिक्षा पर निबंध, निबंध नारी शिक्षा, नारी शिक्षा हिंदी, इत्यादि सर्च करेगा तो गूगल मेरे द्वारा लिखे गए इस लेख तक आसानी से पहुँच पायेगा। क्योंकि केटेगरी hindi-nibandh और पोस्ट यूआरएल naari-shiksha गूगल को यह बतला रहे हैं की यह लेख नारी शिक्षा के निबंध पर आधारित है।

इसके अलावा pakheru.com के बाद /hindi-nibandh आने की वजह से यह एक प्रकार का पेज भी है अतः जब कोई केवल ‘हिंदी निबंध’ जैसा कीवर्ड गूगल में सर्च करेगा तो मेरी केटेगरी के ऊपर आने की संभावना बढ़ जाती है। जिससे मुझे ज्यादा से ज्यादा ट्रैफिक और क्लिक प्राप्त होंगे।

ब्लॉग निर्माण के संबंध में आवश्यक बातें:

  • डोमेन नेम ज्यादा बड़ा लेने की ना सोचें।
  • ब्लॉग पर केटेगरी का निर्धारण अवश्य करें।
  • आप जो भी आर्टिकल लिखते हैं उसे उसकी उचित केटेगरी में ही प्रकाशित करें।

यह तीनों बिंदु मिल करके ब्लॉग यूआरएल स्ट्रक्चर को बेहतर बनाते हैं और साथ में यह यूजर फ्रेंडली भी कहलाता है।

ब्लॉग पर कितने वर्ड के आर्टिकल लिखे और कैसे लिखे जाने चाहिए ?

  • ) शब्दों के जाल में ना फसें, ज्यादा लंबा आर्टिकल रैंकिंग में आने की गारंटी नहीं देता। अतः आप तब तक लिखें जब तक की आप अपने विचार को पूरी तरह नहीं रख पाते। मेरा अनुभव कहता है 800 वर्ड का आर्टिकल भी बेहद उपयोगी होता है यदि वह अपने विषय पर अच्छी तरह केंद्रित हो।
  • ) आप 800 से 1200 वर्ड तक का आर्टिकल लिखने की आदत बना लें, लेकिन मात्र खाना पूर्ति हेतु शब्द ना बढ़ायें बल्कि शब्द पूरी तरह विषय को मजबूती प्रदान करने वाले होंगे चाहिए।
  • ) बड़े बड़े प्राग्राफ ना बनायें, अपनी बातों को छोटे छोटे पैराग्राफ में विभाजित करें।
  • ) हैडिंग, टाइटल, पॉइंट, नंबर, लिस्ट, बोल्ड, अंडरलाइन, इटैलिक, आदि का अच्छा प्रयोग करें।
  • ) फोटो, इमेज, इन्फोग्राफिक्स, ग्राफ, वीडियो, ऑडियो का प्रयोग कॉन्टेंट की गुणवत्ता को मजबूत करता है अतः सब नहीं तो इनमें से कुछ को अपने आर्टिकल में जरूर शामिल करें।
  • ) कॉन्टेंट में आँकड़ों को प्रस्तुत करना, कंपैरिजन को दर्शाना अच्छा माना जाता है अतः यदि आप किसी ऐसे विषय पर लिख रहे हैं जो बेहद तथ्यात्मक है तब आप उसकी प्रस्तुति को बढ़ायें जो पाठक को पॉइंट तो पॉइंट पढ़ने लायक लगे।

बात का निचोड़ ये है की अपने द्वारा लिखे गए कॉन्टेंट की फॉर्मेटिंग को अवश्य ध्यान में रखें। अच्छी तरह फॉर्मटेड कॉन्टेंट न सिर्फ यूजर को पढ़ने में सहायक होते हैं बल्कि ब्लॉग का बाउंस रेट भी कम करते हैं। इसके अलावा फॉर्मटेड कॉन्टेंट को मॉर्डन सर्च इंजन टेक्नोलॉजी काफी पसंद करती है और सर्च रिजल्ट पर आपके द्वारा लिखे आर्टिकल जल्द ऊपर आते हैं। किसी भी कॉन्टेंट की गुणवत्ता इन सभी को मिलकर आंकी जाती है।

कॉन्टेंट की इंटरलिंकिंग और ऑउटगोइंग लिंक:

कोई भी विषय इतना छोटा नहीं होता की उसे हम एक ही आर्टिकल में समाहित कर लें। अतः ऐसा देखने में आता है की एक विषय पर कई प्रकार के आर्टिकल लिखे जाते हैं। आँकड़ों पर आधारित विषय तो साल दर साल लिखे जाते हैं जब जब नए आँकड़े आते हैं। ये जरूरी हो जाता है की एक विषय से जुड़े आर्टिकल को एक दूसरे से इंटरलिंक किया जाय। कॉन्टेंट की इंटरनल लिंकिंग वेबसाइट की क्रॉल फ्रीक्वेंसी को भी बढ़ाती है और यूजर को एक पेज से दूसरे पेज पर लेकर जाती है जिसकी मदद से यूजर रिटेंशन एवं स्पेंड टाइम में बढ़ोतरी होती है।

अपने आर्टिकल से अन्य वेबसाइट के लिंक देना भी अच्छा माना जाता है। जैसे विकिपीडिया के लिंक, किसी गवर्मेन्ट वेबसाइट का लिंक, किसी समाचार वेबसाइट का लिंक अथवा अन्य किसी अच्छे ब्लॉग का लिंक। इस प्रकार के लिंक को ऑउटगोइंग लिंक के नाम से जाना जाता है। यह ज्यादा तो नहीं देना चाहिए किन्तु जहाँ जरूरत महसूस हो वहां जरूर देना चाहिए। लिंक देने के मामले में ज्यादा मतलबी नहीं होना चाहिए, ब्लॉग वेबसाइट का तो उद्देश्य ही यही है की यूजर को ज्यादा अच्छी इन्फॉर्मेशन दी जाय।

ब्लॉग का सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन कैसे करें ?

छोटा डोमेन नेम, केटेगरी, पोस्ट यूआरएल, कॉन्टेंट वर्ड काउंट, कॉन्टेंट फॉर्मेटिंग, इंटरलिंकिंग, …यदि आप इतनी बातों को समझ गए हैं तो यकीन करिये आपने 95% SEO का कार्य पूर्ण कर लिया है।

बाकी जो कार्य अहमियत रखते हैं उसमें हैं –

1 – ब्लॉग कॉन्टेंट लिखने के दौरान टार्गेटेड कीवर्ड को 2 से 4 प्रतिशत तक दोहराना।
2 – पोस्ट यूआरएल में टार्गेटेड कीवर्ड को शामिल करना।
3 – टाइटल में टार्गेटेड कीवर्ड को शामिल करना।
4 – डिस्क्रिप्शन में टार्गेटेड कीवर्ड को शामिल करना।
5 – फोटो के alt-text में टार्गेटेड कीवर्ड को शामिल करना।
6 – कॉन्टेंट में कम से कम H1 और H2 हैडिंग को शामिल करना।

ऊपर लिखे छः बिंदु आपको गूगल रैंकिंग देने के लिए पर्याप्त हैं क्योंकि अन्य कार्य तो आपने ब्लॉग के स्ट्रक्चर बनाते समय एवं कॉन्टेंट फॉर्मेटिंग के समय ही पूरे कर लिए हैं।

क्या होती है बैक-लिंकिंग ?

फ़िलहाल इस प्रश्न को अभी प्रश्न बनकर ही रहने दीजिये क्योंकि मैं इस संबंध में एक विस्तृत आर्टिकल लिखना पसंद करूंगा। बस आपसे यही कहना चाहूंगा की फटाफट बैकलिंक बनाने की दौड़ में शामिल ना हों और ना ही डोमेन अथॉरिटी को बढ़ाने की सोचें। याद रखें गूगल वेबसाइट को रैंक नहीं करता वह केवल पेज को रैंक करता है अतः आपके द्वारा लिखा गया कॉन्टेंट एवं उसकी फॉर्मेटिंग ही सबसे अनिवार्यतम गुण है उसे रैंक करने के लिए।

बैकलिंक की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता किन्तु उसे अर्जित किया जाय तो बेहतर बजाय की खुद क्रिएट करने के। बैकलिंक कैसे अर्जित किया जा सकता है और कैसे बनाया जा सकता है मैं उस विषय पर आपसे अगले लेख में ही चर्चा करूँगा तब तक मेरे इस लेख में कही गयी बातों पर गौर फरमाइए।

लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा

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